Edited By Deepender Thakur,Updated: 26 May, 2022 01:46 PM
शनि देव को हिंदू संस्कृति के अनुसार बेहद ही खास माना जाता है। मान्यता है कि शनि देव इंसान को उसके कर्मो के अनुसार फल देते हैं। साथ ही शनि देव जब किसी से नाराज हो जाते हैं तो उसे उसका दंड भी देते हैं।
शनि देव को हिंदू संस्कृति के अनुसार बेहद ही खास माना जाता है। मान्यता है कि शनि देव इंसान को उसके कर्मो के अनुसार फल देते हैं। साथ ही शनि देव जब किसी से नाराज हो जाते हैं तो उसे उसका दंड भी देते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि देव मकर राशि और कुम्भ राशि के स्वामी हैं| मकर और कुम्भ राशि काल पुरुष की कुंडली में दसमें और ग्यारवें भाव यानी व्यक्ति के कर्म और कर्म के आधार पर लाभ प्राप्ति के कारक हैं| इसीलिए कर्मफलदाता शनि देव की जयंती का उनके भक्त हमेशा इंतजार करते हैं। क्योंकि यह एक ऐसा मौका होता है, जब कोई भी इंसान शनि देव की अराधना करके उन्हें प्रसन्न कर सकता है। जिससे उसे उसके कर्मो का फल मिल सके। अंक ज्योतिष सिद्धार्थ एस कुमार के अनुसार हम आपको बताते हैं शनि जयंति को कैसे करें शनि देव की आराधना।
कब है शनि जयंती?
हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन शनि देव का जन्म हुआ था। इसलिए इसे शनि जयंती के रूप में जाना जाता है। यदि हम इस साल शनि जयंती की बात करें तो यह 29 मई से शुरू होगी। इस दिन शुभ मुर्हत दोपहर 2 बजकर 54 मिनट पर प्रारंभ होगा। जबकि अगले दिन 30 मई मंगलवार को शाम 4 बजकर 59 मिनट पर शुभ मुर्हत समाप्त होगा। सूर्य उदय के आधार पर इस साल शनि जयंती 30 मई सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन शुभ मुर्हत के दौरान शनि देव की भक्ति अराधना की जा सकती है। जो कि बेहद फलदायक साबित होगी।
इस बार क्यों खास है शनि जयंती?
शनि जयंती पर इस साल एक बेहद खास संयोग बन रहा है। जो कि पूरे 30 साल बाद बन रहा है। इस साल शनि देव अपनी राशि कुंभ में रहेंगे। इसके अलावा इसी दिन सवार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। इसके साथ ही शनि जयंती के दिन ही सोमवती अमावस्या और वट सावित्री का व्रत भी रखा जाएगा। इसलिए इस दिन शनि देव की पूजा करने वाले को कई गुना अधिक लाभ प्राप्त होगा।
शनि जयंती की पूजा विधि
शनि जयंती पर की गई पूजा का विशेष महत्व होता है। इसलिए शनि भक्त को चाहिए कि वो इस दिन सुबह उठकर सभी कामों से निवृत होकर स्नान कर ले। इसके बाद शनि देव को याद करते हुए व्रत का संकल्प ले। अब एक चौकी पर काला कपड़ा बिछाकर भक्त बैठ जाए। इस दौरान भक्त के सामने कोई शनि देव की प्रतिमा रखी हो। सबसे पहले शनि देव की इस प्रतिमा को पंचामृत से स्नान करवाएं। इसके बाद प्रतिमा को सिंदूर, कुमकुम, काजल लगाएं और प्रतिमा पर नीले रंग का फूल अर्पित करें। इसके बाद यदि आपकी इच्छा हो तो प्रतिमा पर फल भी चढ़ा दें। इसके अलावा यदि संभव हो तो सरसों का तेल और तिल भी चढ़ा सकते हैं। अंत में शनि देव की प्रतिमा के सामने दीपक जलाकर आप शनि देव के मंत्र या शनि चालीसा का जाप करते हुए शनि देव का ध्यान लगाएं। पूजा को संपन्न करने से पहले शनि देव की आरती भी उतारें। इसके बाद शनि देव से भूल चूक माफ करने की विनती करते हुए अपनी कृपा बनाए रखने का आग्रह करें।
शनि जयंती के उपाय
1. सर्व प्रथम अपने नहाने के पानी में नागरमोथा पाउडर और काले तिल मिला कर स्नान करें
2. यथा संभव वृद्ध लोगो की सेवा करें और उनको भोजन कराए। भोजन में काली उरद की दाल से बनें व्यंजन जरूर रखें
3. लोहे के बनें त्रिशूल को भगवन भैरव या माँ महाकाली के मंदिर में दान करें
4. किसी निर्धन कन्या के विवाह में यथा सम्भब मदद करें। अगर संभव हो तो लोहे के बनें सामान भी दें
5. शनि देव के वैदिक मंत्र का यथा संभव जाप करें
6. कालभैरव अष्टकम का १०८ पाठ करें