Kundli Tv- रावण से जुड़ी ऐसी बातें जो आज से पहले नहीं जानते होंगे आप

Edited By Jyoti,Updated: 18 Oct, 2018 09:58 AM

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रावण का नाम सुनते ही लगभग सभी के मन में घृणा पैदा हो जाती हैं। जैसे ही उसका नाम जुबान पर आता है,

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रावण का नाम सुनते ही लगभग सभी के मन में घृणा पैदा हो जाती हैं। जैसे ही उसका नाम जुबान पर आता है, हर कोई उसके बुरे कर्मों की गिनती करने लगता है। लेकिन सच्चाई यह है रावण एक ज्ञानी इंसान था। वो एक कुशल राजनीतिज्ञ, सेनापति और वास्तुकला का मर्मज्ञ होने के साथ-साथ तत्व ज्ञानी और बहु-विद्याओं का भी जानकार था। रावण को रामायण का ऐसा पात्र कहा गया है, जो राम के उज्ज्वल चरित्र को उभारने का काम करता है। ऐसे में विजयादश्मी के इस खास मौके पर हम आपको रावण से जुड़ी कुछ एेसी दिलचस्प बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बारे में अब से पहले आपने नहीं सुना होगा।
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रावण के बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि वह आधा ब्राह्मण और आधा राक्षस था। क्योंकि रावण के पिता विश्वश्रवा ब्राह्मण और माता कैकसी राक्षसी थी। यही कारण है कि रावण को आधा ब्राह्मण और आधा राक्षस माना जाता है।

कुछ मान्यताओं के अनुसार रावण कुबेर के सौतेले भाई थे। कुबेर को बेदखल कर रावण के लंका में जम जाने के बाद उसने अपनी बहन शूर्पणखा का विवाह कालका के पुत्र दानवराज विद्युविह्वा के साथ कर दिया। 
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जैन शास्त्रों में रावण को प्रति-नारायण माना गया है। उनके मुताबिक 64 शलाका पुरुषों में रावण की गिनती की जाती है। इसमें रावण आगामी चौबीसी में तीर्थंकर की सूची में भगवान महावीर की तरह चौबीसवें तीर्थंकर के रूप में मान्य होंगे। कुछ प्रसिद्ध प्राचीन जैन तीर्थस्थलों पर रावण की प्रतिमाएं भी प्रतिष्ठित हैं।

कुछ विद्वान किंवदंतियों के अनुसार रावण के दस सिर नहीं थे, बल्कि रावण के गले में बड़ी-बड़ी गोलाकार नौ मणियां थीं, जिनकी वजह से उनके दस सिर दिखाई पड़ते थे।

कहा जाता है कि रावण संगीत पुजारी था। कहने का भाव है कि उसे संगीत का बहुत शौक था। वो संगीत जानता भी था, उसे वीणा बजाना बहुत पसंद करता था।
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माना जाता है कि प्राचीन काल में रावण से बड़ा कोई शिवभक्त नहीं था और न ही कलियुग में उससे बड़ा कोई शिवभक्त था, न है और न ही होगा। अपनी भक्ति से उसने खुद को शिव के परम भक्तों में स्थान दिलवाया था।

जैसे कि हम बता चुके हैं कि रावण के पास असीम ज्ञान का भंडार था, इसीलिए उसे परम ज्ञानी का पद प्राप्त था। उसने 6 शास्त्रों की रचना की थी। इसके अलावा रावण ने योग, धर्मा, कामा, अर्थ, मोक्ष और नाव्या शास्त्र भी लिखे थे।
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रावण एक कुशल राजा था। उसे बहुत अच्छे से पता था कि उसे अपना राज्य कैसे चलाना चाहिए। रावण ने सुंबा और बालीद्वीप को जीतकर अपने शासन का विस्तार करते हुए अंगद्वीप, मलयद्वीप, वराहद्वीप, शंखद्वीप, कुशद्वीप, यवद्वीप और आंध्रालय पर विजय प्राप्त की थी।

रावण शिव का परम भक्त, यम और सूर्य तक को अपना प्रताप झेलने के लिए विवश कर देने वाला, प्रकांड विद्वान था।
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रावण के पुष्पक विमान की विशेषता थी कि वह छोटा या बड़ा किया जा सकता था। इसके अलावा पुष्पक विमान में इच्छानुसार गति होती थी, जिसमें बहुत से लोगों को यात्रा करवाने की क्षमता थी।
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