इंसानी दुनिया का हिस्सा हैं यह यमराज मंदिर, आत्माएं और इंसान दोनों जाते हैं यहां

Edited By ,Updated: 10 Nov, 2015 12:03 PM

yama temple dharmaraja temple

आज नरक चतुदर्शी है इस दिन को रूप चतुदर्शी अथवा यम चतुदर्शी भी कहा जाता है। यह दिन यमराज को समर्पित है। जिनसे प्रत्येक जीव भयभीत रहता है इसलिए

आज नरक चतुदर्शी है इस दिन को रूप चतुदर्शी अथवा यम चतुदर्शी भी कहा जाता है। यह दिन यमराज को समर्पित है। जिनसे प्रत्येक जीव भयभीत रहता है इसलिए यमराज को प्रसन्न करने के लिए विशेष उपाय एवं अनुष्ठान किए जाते हैं। अन्य देवी-देवताओं की तरह यमराज के मंदिर हर जगह मौजूद नहीं हैं इसलिए आज के दिन हम आपको यमराज के मंदिरों की यात्रा करवाते हैं।

हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले में भरमौर नाम के स्थान पर दिल्ली से लगभग 500 किलोमीटर दूर यमराज मंदिर एक घर की तरह दिखता है। मरणोपरांत प्रत्येक व्यक्ति को यहां प्रवेश करना पड़ता है। मान्यता है की मंदिर में एक सूना कमरा है जो चित्रगुप्त का है। चित्रगुप्त यमराज के राजपण्डित हैं जो प्रत्येक जीवात्मा के कर्मों का लेखा-जोखा देखते हैं। 
 
माना जाता है कि जब कोई जीव मृत्यु को प्राप्त होता है तो यमराज के दूत उस की आत्मा को पकड़कर सर्वप्रथम इस मंदिर में चित्रगुप्त के समक्ष लेकर आते हैं। चित्रगुप्त जीवात्मा के जीवन का संपूर्ण लेखा-जोखा देखते हैं फिर उस के सामने वाले कमरे में आत्मा को यमराज के सामने प्रस्तुत किया जाता है। इस कमरे को यमराज की कचहरी कहा जाता है।
 
यमराज निष्पक्ष रूप से कर्मों के लेखे-जोखे पर विचार करके आत्मा को अपना निर्णय देते हैं। फिर उन्हें स्वर्ग या नर्क में ले जाया जाता हैं। लोक मान्यता के आधार पर माना जाता है की इस मंदिर में चार अदृश्य द्वार हैं जो स्वर्ण, रजत, तांबा और लोहे की धातु से निर्मित हैं।  गरूड़ पुराण में भी यमराज के दरबार में चार दिशाओं में चार द्वारों का वर्णन मिलता है।
 
विश्राम घाट मथुरा के मुख्य भाग में स्थित है। एेसी मान्यता है कि जब भगवान श्री कृष्ण जी और बलराम जी ने दानव कंस का विध्वंस करने के बाद यहां विश्राम किया था और यमुना जी में भी स्नान किया था इसीलिए इस घाट का नाम विश्राम घाट पड़ गया। एेसी मान्यता है कि यमुना जी ने अपने भाई यमराज जी से यह वरदान मांगा था कि भाई दूज के दिन इस घाट पर जो भी स्नान करेगा उसे यमराज का डर नहीं सताएगा। यहां हजारों की संख्या में लोग आते हैं और यमुना जी में स्नान जरूर करके जाते है।
 
ऋषिकेश में प्राचीन धर्मराज मंदिर हैं। मंदिर के केंद्र में यमराज जी का विग्रह अवस्थित है और उसके ईर्द-गिर्द कुछ अन्य विग्रह हैं जिन्हें यम के दूतों का विग्रह माना जाता है। एक विग्रह उनके बाईं ओर है, जो चित्रगुप्त जी का है। जो कुछ लिखने की मुद्रा में विराजित हैं।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!