इस फील्ड में बनाएं करियर, शुरुआत में ही  मिलेगा 3-4 लाख का पैकेज

Edited By ,Updated: 28 Oct, 2016 12:16 PM

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अक्सर जब भी आप किसी चीज को खरीदने के लिए बाजार जाते है तो वहां पर जो आप जो भी उत्पाद खरीदते हैं, वह किसी न किसी तरह की पैकिंग में होता है। फिर चाहे वह टूथब्रश हो या टीवी। चूंकि इस समय बाजार का बोलबाला है।

नई दिल्ली : अक्सर जब भी आप किसी चीज को खरीदने के लिए बाजार जाते है तो वहां पर जो आप जो भी उत्पाद खरीदते हैं, वह किसी न किसी तरह की पैकिंग में होता है। फिर चाहे वह टूथब्रश हो या टीवी। चूंकि इस समय बाजार का बोलबाला है। अक्सर लोगों को उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर करने के लिए उसे इतने अच्छे ढ़ग से पैक किया जाता है कि उसकी पैकिंग देख कर ही हम ना चाहते हुए भी उस प्रोडेक्ट को खरीद लेते है।  इस लिहाज से पैकेजिंग में करियर को तेजी से उभरता हुआ फील्ड माना जा सकता है। विशेषजों की मानें तो पैकेजिंग इंडस्ट्री देश में हर साल 25 फीसदी की दर बढ़ रही है। इस डिमांड के हिसाब से हर साल तकरीबन 50 हजार भर्तियां इस क्षेत्र में होनी होंगी। इसलिए अगर किसी नए करियर के बारे में सोच रहे हैं तो यह एक बढ़िया ऑप्शन हो सकता है। इसके कोर्स और पढ़ाई भी बहुत महंगी नहीं है। 

 

कैसे बना सकते है इस फील्ड में करियर 

देश में अभी करीब 2500 सेक्टर ऑर्गनाइज्ड हैं, जिनके द्वारा बनाए जा रहे हर उत्पाद के लिए अलग-अलग पैकेजिंग यूनिट की जरूरत होती है। यानी हर एक छोटी से छोटी प्रॉडक्शन यूनिट में पैकेजिंग इंडस्ट्री के लोगों की जरूरत होती है। जैसे-जैसे ऑर्गनाइज्ड सेक्टर में और ज्यादा इंडस्ट्रियां बढ़ेंगी, इस सेक्टर में और ज्यादा रोजगार पैदा होगा। अभी देश में पैकिंग का बाजार करीब 47.3 मिलियन डॉलर करीब 312 करोड़ का है। भारत का यह बाजार दुनिया का चौथा सबसे बड़ा पैकेजिंग बाजार है। ये सारे संकेत हैं कि आने वाला समय पैकेजिंग इंडस्ट्री में रोजगार के लिहाज से बूम का होगा।

 

सैलरी और स्टाइपेंड
पैकेजिंग का कोर्स करने के बाद शुरुआती दौर में कंपनियां औसतन 3-4 लाख रुपये का सालाना पैकेज ऑफर करती है। इसके बाद दूसरे सेक्टर्स की तरह यहां भी काम और अनुभव के हिसाब से पैसा बढ़ता जाता है। ट्रेनिंग और इंटर्नशिप के दौरान मिलने वाला स्टाइपेंड भी करीब 25 हजार रूपये तक होता है।

 

जरूरी स्किल्स
पैकिंग में कई तरह के फीचर होते हैं जो इसे मल्टि रोल की कैटिगरी में शामिल करता है। इसमें आकर्षक डिजाइन, आकार-प्रकार, प्रिजरवेशन तकनीक, उत्पाद की सुरक्षा, टारगेट ऑडियंस जैसे तमाम पहलुओं का ध्यान रखना होता है। इसके लिए साइंस और टेक्नॉलजी की समझ होना बहुत जरूरी है। ज्यादातर कैंडिडेट इस सब्जेक्ट से सिलेक्ट किए जाते हैं। इसके अलावा डिजाइन की समझ होना एडवांटेज माना जाता है। खास कर डिजाइनिंग सॉफ्टवेयर की समझ।

पैकिंग किस तरह की होनी चाहिए इसके लिए उत्पाद की जरूरतों को समझना जरूरी होता है। उत्पाद की जरूरतें यानी इसकी व्यवस्था, शेल्फलाइफ, ट्रांसपोर्ट का माध्यम, कितनी दूर पहुंचाना है, जैसे कई फैक्टर्स जानना जरूरी होता है। इसके बाद तय होता है कि किस तरह की पैकिंग होनी चाहिए।

 

कोर्स डिटेल
पीजी डिप्लोमा इन पैकेजिंग (2 साल) फुल टाइम प्रोग्राम: यह कोर्स साइंस और इंजिनियरिंग ग्रैजुएट्स के लिए है। बैचलर्स डिग्री के बाद वह इस कोर्स के लिए एलिजिबल है।

डिस्टेंस एजुकेशन प्रोग्राम (18 महीने): यह कोर्स खासतौर पर उन लोगों के लिए बनाया गया है, जो एंप्लॉयड हैं। इंडस्ट्री में काम करने वाले लोगों के लिए यह एग्जिक्युटिव लेवल का कोर्स है जो उनकी जरूरतों के हिसाब से टेलमेड कोर्स की श्रेणी में आता है।

सर्टिफिकेट प्रोग्राम इन पैकेजिंग (3 महीने) फुल टाइम कोर्स: पैकिंग के लिए यह शार्ट टर्म कोर्स है


करियर 
पैकेजिंग का पीजी कोर्स करने के बाद कई अलग-अलग पोजिशंस में जा सकते हैं। इसमें सबसे बेसिक जॉइनिंग पैकिंग एग्जिक्यूटिव लेवल पर होती है। कंपनियां जरूरत के हिसाब से सुपरवाइजर, मैनेजर, रिसर्चर ऐंड डिवेलपर, प्रॉक्योरमेंट ऑफिसर, टेक्नोकमर्शल और क्वॉलिटी कंट्रोल जैसे स्पेशलाइजेशन में रिक्रूटमेंट करती हैं

 

मल्टिडिसीप्लनिरी सब्जेक्ट
पैकिंग की पढ़ाई सिर्फ एक कोर्स नहीं है बल्कि इसमें कई तरह के पहलू शामिल होते हैं। इसमें इंजिनियरिंग, साइंस, टेक्नॉलजी और आर्टिस्ट जैसे कई अलग-अलग फील्ड की काबिलियतों की जरूरत होती है। इसलिए इन सभी फील्ड के लोग यह कोर्स कर सकते हैं। कोर्स करते हुए इन सभी फील्ड्स की चीजें भी कैंडिडेट को पढ़ाई जाती हैं।
 

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