बच्चों की सुरक्षा को लेकर दिल्ली सरकार सख्त, उठाएं जाएंगे कड़े कदम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Sep, 2017 10:56 AM

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गुरुग्राम के स्कूल में बच्चे की हत्या और दिल्ली में स्कूल...

नई दिल्ली : गुरुग्राम के स्कूल में बच्चे की हत्या और दिल्ली में स्कूल में छात्रा से रेप का मामला सामने आने के बाद दिल्ली सरकार बच्चों की सुरक्षा के लिए कड़े प्रंबध करने की तैयारी कर रही है । बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दिल्ली के सभी स्कूलों के लिए अब प्रोटोकॉल बनाया जाएगा और सभी स्कूलों के लिए नई गाइडलाइंस भी जारी की जाएगी। शिक्षा विभाग ने भी नई गाइडलाइंस को लेकर तैयारी शुरू कर दी है।

सूत्रों के अनुसार  इस मुद्दे पर डिप्टी सीएम के साथ शिक्षा विभाग के अधिकारी के साथ एक बड़ी बैठक  हो सकती है। इस बैठक में नई गाइडलाइंस पर कई अहम फैसले लिए जा सकते हैं। गुड़गांव के स्कूल में बच्चे की हत्या और दिल्ली के स्कूल में बच्ची से रेप के मामले ने पूरे सिस्टम को सवालों के घेरे में ला दिया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि स्कूल में सेफ्टी के सिस्टम को तभी ठीक किया जा सकता है, जब लापरवाही बरतने वाले स्कूल मैनेजमेंट के साथ संबंधित अफसरों पर भी कार्रवाई हो। जवाबदेही तय करना बहुत जरूरी है।यही वजह है कि दिल्ली सरकार शिक्षा विभाग अधिकारीयों के साथ एक बैठक आयोजित करने की तैयारी में है। इस बैठक में सुरक्षा व्यवस्था, स्कूलों में काउंसलर रखना, स्कूल में आये बाहरी व्यक्ति पर निगरानी रखना, दो महिला टीचरों का होना जैसे जरुरी मुद्दे पर चर्चा होगी

काउंसलर रखना जरूरी
सूत्रों का कहना है कि नई गाइडलाइंस में स्कूल के हर फ्लोर पर नोडल अफसर और काउंसलर रखना जरूरी बनाया जाएगा। स्कूल कई मंजिला बना लिए जाते हैं और छोटे-छोटे बच्चों को खुद अपनी क्लास तक जाना पड़ता है। हर फ्लोर पर नोडल अफसर होना चाहिए, जो यह देखे कि बच्चा सुरक्षित क्लास में जाए। जब छुट्टी हो तो वह स्कूल बस या वैन तक सुरक्षित पहुंच सके। उस फ्लोर पर सारी व्यवस्था देखने की जिम्मेदारी उस अफसर को दी जाए। इसके साथ ही स्कूल में काउंसलर जरूर हों, जो समय-समय पर टीचर से बात करे। स्कूल में टीचर और घर में पैरंट्स ही बच्चे के बर्ताव में आए बदलाव को पहचान सकते हैं। जब टीचर को लगे कि बच्चा परेशान है और बर्ताव बदल रहा है तो तुरंत काउंसलर को बताए, ताकि वह बच्चे से बात कर सके।

बाहरी लोग कब आएं?
सूत्रों का कहना है कि स्कूलों में कई महीनों तक कंस्ट्रक्शन या मरम्मत का काम होता है। स्कूल में बाहरी लोगों का आना-जाना लगा रहता है। नए दिशा-निर्देश में तय होगा कि स्कूल में मरम्मत का काम कैसे हो और कब किया जाए। स्कूल आउटसोर्स स्टाफ के लिए जिस एजेंसी की सर्विस लेते हैं, वह एजेंसी रजिस्टर्ड है या नहीं। लाइसेंस है या नहीं। ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जो सीधे सुरक्षा से जुड़े हुए हैं। इन मसलों को भी नई गाइडलाइंस में शामिल किया जा सकता है। साथ ही प्राइवेट स्कूलों की मैनेजमेंट को निर्देश दिया जा सकता है कि वे अपने स्कूलों में समय-समय पर सरप्राइज विजिट करवाएं और देखें कि क्या कमियां हैं और क्या समस्याएं सामने आ रही हैं।

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