दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा मनोविज्ञान और मानसिक स्वास्थ्य में सर्टिफिकेट कोर्स की घोषणा

Updated: 02 Dec, 2022 10:50 PM

delhi university announces certificate course in psychology and mental health

मानसिक स्वास्थ्य और मनोविज्ञान सम्बंधित बहुत सारी भ्रांतिया है जिसमे से एक मनोवैज्ञानिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर के कार्यप्रणाली को लेकर है।

टीम डिजिटल। मानसिक स्वास्थ्य और मनोविज्ञान सम्बंधित बहुत सारी भ्रांतिया है जिसमे से एक मनोवैज्ञानिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर के कार्यप्रणाली को लेकर है। मनोविज्ञान में अपने करियर बनाने के इक्छुक छात्र में भी इस बात की अनभिज्ञता होती है कि मेन्टल हेल्थ प्रोफेशनल या साइकोलोजिस्ट काम कैसे करते है। इस बात को ध्यान में रखकर यूपीएस एजुकेशन (UPS Education) और एसपीएम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय (University of Delhi) ने मिलकर मनोविज्ञान और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कुछ नए कोर्स शुरू करने की घोषणा की। 

जिन कोर्स की घोषणा की गयी उनमे "सर्टिफिकेट कोर्स इन काउंसलिंग एंड साइकोथेरपी", "सर्टिफिकेट  इन मीडिया साइकोलॉजी" एवं "साइकोलॉजिकल टेस्टिंग में सर्टिफिकेट" है। इन कोर्स की अवधि ३ महीने से ६ महीने तक होगी। "सर्टिफिकेट कोर्स इन काउंसलिंग एंड साइकोथेरपी", एवं "साइकोलॉजिकल टेस्टिंग में सर्टिफिकेट" में एडमिशन के लिए मनोविज्ञान विषय में स्नातक होना चाहिए लेकिन "सर्टिफिकेट  इन मीडिया साइकोलॉजी" में एडमिशन किसी भी विषय से स्नातक कर रहे छात्र ले सकते है। सर्टिफिकेट इन मीडिया साइकोलॉजी के विद्यार्थियों को किसी भी मीडिया संस्थान से १ महीने की इंटर्नशिप अनिवार्य होगा। एडमिशन के लिए एसपीएम कॉलेज (SPM College) और यूपीएस एजुकेशन (UPS Education) सेंटर बनाया गया और २५ नवंबर से एडमिशन की प्रक्रिया शुरू हो गयी है जो २४ दिसंबर तक चलेगी। एसपीएम कॉलेज के प्रिंसिपल, साधना शर्मा ने बच्चो को उनके भविष्य के लिए शुभकामनाये देते हुए कहा कि उनको उम्मीद है कि बच्चो को इन कोर्सो से लाभ मिलेगा।  

सभी पाठ्यक्रम एप्लाइड साइकोलॉजी विभाग के अंतर्गत संचालित किये जायेंगे। इस कोर्स में साल में दो बार एडमिशन लिया जा सकता है लेकिन सिमित सीट होने की वजह से प्रहले प्राप्त हुए आवेदन को प्राथमिकता दी जाएगी।  प्रथम सेशन की शुरुआत फरवरी  में दूसरा सेशन की सितम्बर में की होगी। इस कोर्स को ऑफलाइन या ऑनलाइन  दोनों ही माध्यम से किया जा सकता है। सर्टिफिकेट के लिए कुछ न्यूनतम शर्ते है जिसे पूरा करना सभी विद्यार्थियों  अनिवार्य होगा। सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए असाइनमेंट और कोर्स के अंत में आयोजित परीक्षा में निर्धारित किये हुए न्यूनतम अंक लाना अनिवार्य होगा।
अरविन्द ओत्ता, जिन्होंने पाठ्यक्रम तैयार किया है कहा कि पाठ्यक्रम तय करते समय इस बात का ध्यान रखा गया है कि विद्यार्थियों को थ्योरी क्लासेज के साथ असाइनमेंट, प्रोजेक्ट और प्रैक्टिकल का भी एक्सपोज़र मिले जिससे विद्यार्थियों का सर्वांगीण समझ विकसित हो। 

साइकोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड, वीरेंदर यादव ने कहा कि ये कोर्स विद्यार्थी के समझ को विकसित करेगा तथा मनोवैज्ञानिक के कार्य प्रणाली को समझने में मदद करेगा। कोर्स कोऑर्डिनेटर ने बताया कि कोर्स के प्रशिक्षक में देश के विभिन्न संस्थानों में कार्यरत मनोवैज्ञानिक/ क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट भी होंगे जो विद्यार्थियों को ऐसे स्किल्स की ट्रेनिंग देंगे जो जॉब के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, ये भी बताया गया कि लोगो का रुझान मानसिक स्वास्थ्य की तरफ बढ़ा है इसलिए विभिन्न मनोवैज्ञानिकों की मांग भी बढ़ने लगी है जिससे विद्यार्थियों का रुझान भी मनोविज्ञान की तरफ बढ़ा है लेकिन साथ ही अभी भी मनोविज्ञान के विभिन्न स्पेशलाइजेशन के सम्बंधित अनभिज्ञता है जिसे ऐसे कोर्सो के माध्यम से दूर किया जा सकेगा। इन पाठ्यक्रमों के लिए व्याख्यान का तरीका ऑनलाइन भी होगा ताकि पूरे भारत से छात्र यहां तक कि नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका से भी आवेदन कर सकें और मनोविज्ञान में मान्यता प्राप्त पेशेवरों से नए स्किल्स सीख सकें। भारत से बाहर के छात्रों के भी नामांकन प्रक्रिया वैसा ही रहेगा जैसे भारतीय छात्रों के लिए तय किया गया है। ये कोर्स उन लोगो के लिए भी महत्वपूर्ण है जो कार्यरत है और अपने स्किल्स को बढ़ाना चाहते है। 

  • Edited By- Jyotsna Rawat

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