Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Feb, 2018 01:48 PM
दिल्ली उच्च न्यायालय में आज दायर एक जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि दिल्ली विश्वविद्यालय...
नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय में आज दायर एक जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की विधि संकाय में एलएलबी की 30 फीसदी सीटें हर साल ‘‘गैर गंभीर’’ छात्रों की वजह से बेकार हो जाती हैं। यह जनहित याचिका कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ के समक्ष आई। न्यायमूर्ति हरिशंकर ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर दिया।
इसके बाद अदालत ने उचित पीठ के सामने इस मामले को पांच फरवरी को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर के एलएलबी दूसरे वर्ष के छात्र की याचिका में आरोप लगाया गया कि प्रतिवर्ष 500-700 सीट ‘‘बेकार चली जाती हैं क्योंकि या तो छात्र हॉस्टल की सीट सुरक्षित करने के लिये दाखिला ले लेते हैं या फिर विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिये एक विकल्प के तौर पर एलएलबी की सीट को ब्लॉक कर देते हैं। याचिकाकर्ता सुभाष विजयरन ने विश्वविद्यालय, विधि संकाय और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को विधि पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले छात्रों से पांच लाख रूपये के बाण्ड या उचित राशि अनिवार्य करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।