Edited By ,Updated: 11 Jan, 2019 02:24 PM
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली के मामले अक्सर सामने आते रहे है। इस बार ओपन स्कूल की किताबों को कचरे की तरह फैंकने का मामले ने फिर से एक बार शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए है। आला अफसर अपनी जिम्मेदारी कबूलने...
एजुकेशन डेस्कः छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली के मामले अक्सर सामने आते रहे है। इस बार ओपन स्कूल की किताबों को कचरे की तरह फैंकने का मामले ने फिर से एक बार शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए है। आला अफसर अपनी जिम्मेदारी कबूलने के बजाय दूसरों पर गलती डाल रहे है।
मामला धमतरी के शोभाराम देवांगन बालक स्कूल का है। यहां ओपन स्कूल की किताबों को बंडल बनाकर कचरे में फेंक दिया गया। ये सारी किताबें बिल्कुल नई है। इन किताबों को 10वीं और 12वी के बच्चों के लिए भेजा गया था। किताबों के लिए बच्चों से शुल्क भी लिया गया है। कायदे से इन किताबों हर विद्यार्थी को बुला कर उन्हे देना था लेकिन एसा हुआ नहीं और इसका कोई रिकॉर्ड रखा गया।
बच्चों को किताबें बांटने की जिम्मेदारी इस समन्वय्क केंद्र के प्रभारी जो उस स्कूल का प्राचार्य भी होता है उसकी है लेकिन इनकी लापरवाही की बदौलत किताबों को कचरे की तरह फेंक दिया गया। एक कमरे में डाले गए किताबों के ढेर से बच्चे अपने विषय की किताबे ढूंढ को मजबूर हो रहे है।
ओपन स्कूल के लिए जिले के हर ब्लॉक में एक एक स्कूल को समन्वयकेंद्र बनाया गया है, जहां के प्रभारी वहां के प्राचार्य होते है। सभी प्राचार्य अपना काम ठीक करें ये देखना जिला शिक्षा अधिकारी का काम है। लेकिन साफ है कि धमतरी ब्लॉक के केंद्र में न प्राचार्य अपनी जिम्मेदारी निभा रहे है न शिक्षा विभाग। हां जब कमजोरी उजागर हो गई तो तब जरूरी कार्रवाई की बात कही जा रही है। मामले में डीईओ ब्रजेश वाजपेयी का कहना है कि शिकायत मिली है। लापरवाही बरतने वाले प्राचार्य पर कार्रवाई की जाएगी।