शिक्षा समाज का दपर्ण और राष्ट्र की रीढ़ : यूजीसी

Edited By pooja,Updated: 14 Mar, 2019 04:00 PM

education society and the backbone of the nation ugc president

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष प्रो. धीरेन्द्र पाल सिंह ने शिक्षा के माध्यम से समर्पण, प्रतिबद्धता, पारदर्शिता, सत्य, निष्ठा और ईमानदारी जैसे

दरभंगा:  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष प्रो. धीरेन्द्र पाल सिंह ने शिक्षा के माध्यम से समर्पण, प्रतिबद्धता, पारदर्शिता, सत्य, निष्ठा और ईमानदारी जैसे मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता दिए जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि शिक्षा समाज का दर्पण और राष्ट्र की रीढ़ है। 

 सिंह ने यूनीवार्ता से विशेष बातचीत में कहा कि आदि काल से ही शिक्षा का बड़ा महत्त्व रहा है। शिक्षा व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास की मूलाधार है और राष्ट्र उत्थान एवं विकास की संवाहक है। संपूर्ण मानवता के परम आदर्शो की मूल कसौटी है। बनारस ङ्क्षहदू विश्वविद्यालय (बी0एच0यू0) के संस्थापक पं0 मदन मोहन मालवीय जी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी शिक्षा के संबंध में जो सोंच थी आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। 

उन्होंने कहा था कि ‘‘व्यक्ति और समाज के अभ्युदय के लिए बौद्धिक विकास से भी अधिक महत्वपूर्ण है चरित्र का निर्माण और उसका विकास। मात्र औद्योगिक प्रगति से ही कोई देश खुशहाल, समृद्ध और गौरवशाली राष्ट्र नहीं बन सकता। उन्होंने इस परिप्रेक्ष्य में समग्र शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास पर अधिक बल दिया था।  यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि आज युवा उत्कृष्ट शिक्षा प्राप्त करने की हर मुमकिन कोशिश में लगा हुआ है। उच्च शिक्षण संस्थानों का भी यह दायित्व है कि वह ऐसा धरातल तैयार करें जहां शिक्षा-दीक्षा के कार्य को परम उदात्त ध्येय के रूप में पुरूषार्थ माना जाए। शिक्षा के द्वारा समर्पण, प्रतिबद्धता, पारदर्षिता, सहकार, सत्य, निष्ठा और ईमानदारी जैसे मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता देने का प्रयास हो। 

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