सुरक्षा के हर स्तर पर मां-बाप, शिक्षक सहित सभी को होना होगा सजग

Edited By pooja,Updated: 14 Aug, 2018 10:01 AM

everyone including parents teachers must be at every level of safety

बच्चों को यौन हिंसा का शिकार बनाने वाले वहशी-दरिंदों के चेहरे पर यह तो लिखा नहीं होता कि वह भीतर ही भीतर कितनी गंदी सोच रखते हैं। न ही उनको देखकर इस

नई दिल्ली:  बच्चों को यौन हिंसा का शिकार बनाने वाले वहशी-दरिंदों के चेहरे पर यह तो लिखा नहीं होता कि वह भीतर ही भीतर कितनी गंदी सोच रखते हैं। न ही उनको देखकर इस बात का सटीक अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह किसी मासूम को शिकार बनाने की योजना बना रहे हैं। हां, एक बात तय है कि अगर बचाव के चालाक उपाय, यानी बुद्धि लगाकर हर स्तर पर सुरक्षा का जायजा लेकर काम किया जाए तो दरिंदों को उनके मंसूबे में फेल किया जा सकता है। पुलिस की सुरक्षा तो अलग बात है, खुद के स्तर पर बहुत सारे होशियार कदम उठाकर हम मासूमों को महफूज रख सकते हैं। दरिंदों को  रोकना तब तक संभव नहीं होता जब तक की उनकी असलियत का पता न लग जाए। लेकिन, उनको रोकने को लेकर ऐतिहात वाले काम करने से बहुत सारे फायदे हैं। एनीडीएमसी  स्कूल में 8 अगस्त को बच्ची से रेप की घटना पर राजधानी दुखी है। ऐसे में सजगता पर बात करना जरूरी है।

बच्चों को किसी भी स्थिति में अकेला न छोड़ें
बच्चा चाहे स्कूल में हो, घर पर हो, पार्क में हो या फिर किसी भी अन्य जगह। अकेला नहीं रहने दें। कोई साथ रहे जरूर। स्कूल में यह जिम्मेदारी स्टाफ और प्रबंधन की है और घर या अन्य किसी जगह पर अभिभावकों की। थोड़ा भी शक हो तो सतर्क हो जाएं। हो सकता है कि शक गलत हो, लेकिन अगर शक सही होगा तो आपके द्वारा उठाए गए सतर्कतापूर्ण कदम से मासूम के साथ यौन हिंसा की घटना नहीं होगी।

बच्चों को समझाएं, ताकि वे खुद समझदार बनें
स्कूल यूनीफॉर्म पहनाते समय, स्कूल ले जाते समय, खेलते समय या किसी भी समय, लेकिन बहुत ही सहज तरीके से बच्चों को यह बताना जरूरी है कि उसके साथ कोई बदमाश कुछ बुरा कर सकता है। इसके लिए उनको खुद भी सतर्क रहना होगा। बच्चों को बताया जाना चाहिए कि कोई भी, चाहे वह जानने वाला ही क्यों न हो, उसके कहने पर किसी एकांत जगह पर नहीं जाएं। स्कूल में कोई व्यक्ति अगर किसी तरह की गंदी हरकत करता है तो उसकी शिकायत टीचर से जरूर करनी चाहिए। इसके साथ घर पर आकर भी बताना चाहिए। यदि स्कूल आते-जाते समय, बस या वैन में कोई छेडख़ानी करता है या निजी अंगों को हाथ लगाता है तो यह भी मम्मी को जरूर बताना चाहिए। इस तरह की बातें बहुत सरल से तरीके से बच्चों को बतानी चाहिए, ताकि वे सजग बनें।

स्कूलों को सुरक्षा पर खास ध्यान देना चाहिए
स्कूल प्रबंधन को सुरक्षा के सख्त इंतजाम करने चाहिए। सीसीटीवी कैमरा स्कूल में सभी जगह पर होना चाहिए और समय-समय पर जांच भी होनी चाहिए। ताकि, डर बना रहे। स्कूल मैदान, बस यार्ड, झूला पार्क, बाथरूम आदि ऐसे स्थान जहां एकांत हो और किसी अप्रिय घटना को अंजाम दिए जाने की स्थिति बनती हो, वहां गार्ड तैनात किए जाने चाहिए। स्कूल में पढ़ाई की जिम्मेदारियां बांटने के साथ सुरक्षा की जिम्मेदारी के लिए भी एक अधिकारी नियुक्त किया जाना चाहिए। हालांकि, सुरक्षा प्रभारी का पद बड़े संस्थानों में होता है, लेकिन निजी स्कूल और इंटरमीडिएट स्कूल में इस तरह विशेष व्यवस्था देखने को सामान्यत: नहीं मिलती।


गुड टच-बैड टच  का ज्ञान है जरूरी
बच्चों को गुड टच और बैड टच का ज्ञान देना बहुत जरूरी है। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी देने के लिए किसी विशेषज्ञ की जरूरत है। अभिभावक ही अपने बच्चों को बहुत आसानी से इसके बारे में समझा सकते हैं। स्कूल में शिक्षकों द्वारा इस तरह की जानकारी दी ही जाती है। बच्चों को बताया जाना चाहिए कि  शरीर के वह अंग जो वस्त्रों में छिपे होते हैं वह निजी होते हैं और उनको कोई दूसरा देख या छू नहीं सकता है। यदि कोई ऐसा करने की कोशिश करता है तो घर में मां-बाप को बताना चाहिए। बच्चों को यह भी बताना होगा कि यदि कोई जानकार है या स्कूल मेें ही कोई ऐसा व्यक्ति है जो निजी अंगों को बिना वजह छूता है तो इसकी शिकायत टीचर से करनी चाहि और, ऐसी घर आकर मां-बाप को बताना चाहिए। 

ऐसा कोई दिन और घंटा नहीं कि किसी न किसी बच्चे का यौन शोषण न होता हो। लेकिन, इसे रोकना इसी समाज की जिम्मेदारी है। मासूम चाहे किसी झुग्गी में रह रहा हो या फिर बंगले में। उसके साथ किया जा रहा यौन शोषण केवल उसके लिए ही पीड़ादायक नहीं है, बल्कि इस पूरे समाज के लिए बहुत बड़ा खतरा है। ऐसे में चाहे पीड़ित बच्चे हों या फिर उनके अभिभावक, लोकलाज के डर से उनको चुप नहीं रहना चाहिए। अगर वह इस तरह की घटनाएं छिपाएंगे तो तय है कि ऐसी घटनाएं बढ़ती जाएंगी। 

बच्चों को ‘ना’ कहना सिखाएं
अक्सर होता है कि बच्चों को बहला-फुसलाकर यौन हिंसा का शिकार बनाया जाता है। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों को किसी के जाल में फंसने से बचाने के उपाय सिखाए जाएं। बच्चों को न कहना सिखाना चाहिए। यदि कोई कुछ खाने की चीज देने की बात कहे तो बच्चे उसे तुरंत मना कर दें, ऐसी ट्रेनिंग देनी चाहिए। यहीं नहीं बच्चों को सिखाना चाहिए कि कोई बिना वजह बात करे या पास आने की कोशिश करे तो उसे वहीं पर बोलना चाहिए कि मैं टीचर या मम्मी से शिकायत कर दूंगा। ऐसा होने पर यदि कोई गलत नीयत से बच्चे के पास आता होगा तो वह डरकर दोबारा कुछ नहीं करेगा। 

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