प्रवासी बच्चों के सहारे चल रहे सरकारी स्कूल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jun, 2017 11:30 AM

government schools run by migrant children

औद्योगिक क्षेत्र बी.बी.एन. के सरकारी स्कूल प्रवासी बच्चों के भरोसे चल रहे हैं। क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में 80 ...

बददी : औद्योगिक क्षेत्र बी.बी.एन. के सरकारी स्कूल प्रवासी बच्चों के भरोसे चल रहे हैं। क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में 80 फीसदी से भी ज्यादा बच्चे प्रवासी मजदूरों के पढ़ रहे हैं। प्राइवेट स्कूलों की तरफ बढ़े रूझान से सरकारी स्कूल केवल गरीब परिवारों व प्रवासी मजदूरों के बच्चों तक सीमित हो गए हैं। सरकारी स्कूलों में सरकार द्वारा दी जा रही सभी सुविधाओं के बावजूद सरकारी स्कूलों से मध्यम परिवारों के बच्चे मुंह मोड़ रहे हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त सरकारी अध्यापकों की बजाए क्षेत्र के लोग अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाना बेहतर समझ रहे हैं। निजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना लोगों के लिए स्टेटस सिंबल बन गया है।

देखादेखी में लोग सरकारी स्कूलों से अपने बच्चों को हटाकर पब्लिक स्कूलों में भेज रहे हैं। इससे सरकारी स्कूलों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।निजी स्कूलों की भारी भरकम फीसें लोगों के गले की फांस बनती जा रही हैं। लोगों को मजबूरन अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाना पड़ रहा है। समाज में स्टेटस सिंबल कायम रखने के चलते लोग निजी स्कूलों के चुंगल में फंसते जा रह हैं।

क्षमता से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे निजी स्कूलों में
क्षेत्र के कई ऐसे प्राइवेट स्कूल हैं जहां क्षमता से भी ज्यादा बच्चे शिक्षा ग्रहण कर हैं। क्षेत्र में कई बड़े स्कूलों के पास तो भवनों का पर्याप्त प्रबंध है लेकिन कई ऐसे स्कूल हैं जिनमें क्षमता से अधिक बच्चे दाखिल हैं। विभाग का भी ऐसे स्कूलों के देखरेख करने के प्रति रवैया नकारात्मक रहा है। यही नहीं कुछ स्कूल तो ऐसे भी हैं जिनकी बसें ओवरलोड चलती हैं और 50 सीटर क्षमता वाली बसों में 70 से 80 बच्चे ठूंसे जा रहे हैं।

सरकारी स्कूलों के अध्यापकों के बच्चे भी निजी स्कूलों में 
बी.बी.एन. क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में तैनात अधिकतर अध्यापकों के बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं। उच्च शिक्षा ग्रहण कर सरकारी अध्यापक लगे होने के बावजूद निजी स्कूलों में बच्चों को भेजना सरकारी अध्यापकों की योगयता पर स्वयं सवाल खड़े करती है।स्थानीय लोगों गुरदयाल सिंह ठाकुर, निर्मल सिंह, जगत राम, राम प्रकाश, गुरचरण सिंह, रणजीत सिंह, गुरदयाल सिंह, रामअवतार व बलवीर सिंह ने मांग की है कि क्षेत्र में सरकारी स्कूलों की शिक्षा प्रणाली से लोगों का विश्वास उठ रहा है। सबसे पहले सरकारी स्कूलों में तैनात अध्यापकों के बच्चों की शिक्षा सरकारी स्कूलों में जरूरी की जानी चाहिए।

आर.टी.ई. का भी उल्लंघन 
बी.बी.एन. के निजी स्कूलों में आर.टी.ई. के नियमों को ठेंगा दिखाया जा रहा है। आर.टी.ई. के तहत निजी स्कूलों में 25 फीसदी गरीब बच्चों को एडमिशन देना अनिवार्य है लेकिन गरीब बच्चों को एडमिशन ही नहीं दी जा रही है।  

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