निजी स्कूलों की मनमानी फीस लेने पर नकेल कसेगी केंद्र सरकार

Edited By Sonia Goswami,Updated: 13 Jul, 2018 02:05 PM

govt child rights body to recommend 10 cap on fee hike in private schools

निजी स्कूलों द्वारा गैर-कानूनी ढंग से की जा रही फीस वृद्धि तथा माता-पिता की शिकायतों के आधार पर राष्ट्रीय बाल संरक्षण संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने निजी स्कूलों के लिए एक समान शुल्क ढांचा लगाने के लिए नियम तैयार किए हैं।

नई दिल्लीः निजी स्कूलों द्वारा गैर-कानूनी ढंग से की जा रही फीस वृद्धि तथा माता-पिता की शिकायतों के आधार पर राष्ट्रीय बाल संरक्षण संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने निजी स्कूलों के लिए एक समान शुल्क ढांचा लगाने के लिए नियम तैयार किए हैं। अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय को इस प्रभाव के लिए सिफारिश करने की प्रक्रिया में है। 

 

स्मरण रहे कि भारत में 3,50,000 निजी, अवैध विद्यालय हैं जहां 75 मिलियन के करीब बच्चे अध्ययन करते हैं। ऐसे स्कूलों को सरकार से कोई अनुदान नहीं मिलता है और उन्हें  स्वयं राजस्व के लिए प्रयास करना पड़ता है। भारत भर के कई शहरों में देखा गया है कि माता-पिता ऐसे स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से शुल्क वृद्धि का विरोध करते हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली और मुंबई में, पिछले साल निजी, अवैतनिक स्कूलों में शुल्क वृद्धि 10% और 40% के बीच की थी जिले लेकर एनसीपीसीआर सख्त नजर आ रहा है।

 

इसी के चलते एनसीपीसीआर ने गैर-कानूनी ढंग से वसूली करने वाले निजी स्कूलों के खिलाफ एक जैसा शुल्क लगाने को लेकर नियम तैयार किए हैं जो विद्यालय शुल्क में वृद्धि की निगरानी के लिए राज्यों में एक जिला शुल्क नियामक प्राधिकरण की स्थापना का प्रस्ताव करेगा।


एनसीपीसीआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हम जल्द ही कार्रवाई के लिए एचआरडी मंत्रालय को मसौदा विनियम भेज देंगे।" जो स्कूल के स्थान, खर्च , राजस्व, छात्र संख्या और अन्य मानकों के आधार पर फीस निर्धारित करने के लिए सुझाव देगा। नियमों के मुताबिक यदि एक स्कूल शुल्क ढांचे में दिए गए मानदंडों का उल्लंघन करता है तो इसे पहले 1% जुर्माना लगाया जाएगा, दूसरे और तीसरे उल्लंघन के लिए 2% और 5% तक बढ़ जाएगा । किसी भी अन्य उल्लंघन के लिए, एनसीपीसीआर ने प्रस्ताव दिया है कि स्कूल को ''नो एडमिशन कैटेगरी” में रखा जाए और नए छात्रों को स्वीकार करने से रोक दिया जाए।

 

एक दूसरे एनसीपीसीआर अधिकारी ने कहा कि दाखिले पर रोक लगाने का मतलब मोजूदा छात्रों की पढ़ाई पर असर न हो। यह नियम मौजूदा छात्रों को अपनी शिक्षा पूरी करने की अनुमति देगा ।

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