Edited By pooja,Updated: 08 Mar, 2019 10:30 AM
एक ताजा रिपोर्ट में महिलाओं को लेकर हाल ही बयां जाहिर हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में महिलाएं भले ही पुरुषों की बराबरी कर रही हैं, पर उनकी आय और वेतन के बीच का फासला अब भी कम नहीं हुआ है।
नई दिल्ली: एक ताजा रिपोर्ट में महिलाओं को लेकर हाल ही बयां जाहिर हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में महिलाएं भले ही पुरुषों की बराबरी कर रही हैं, पर उनकी आय और वेतन के बीच का फासला अब भी कम नहीं हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार देश में महिलाएं पुरुषों की तुलना में 19 फीसदी कम कमाती हैं और यह असमानता लगभग हर सेक्टर में है। हैरान करने वाले ये खुलासे मॉन्स्टर सैलरी इंडेक्स (MSI) की सर्वे रिपोर्ट में किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के मुकाबले पुरुष प्रति घंटे 46.19 रुपये ज्यादा कमाते हैं। प्रति घंटे के हिसाब से देखें तो साल 2018 के दौरान भारत में पुरुषों का औसत सकल वेतन 242.49 रुपये था, जबकि महिलाओं के लिए यह 196.3 रुपये था।
देखा जाए तो महिला और पुरुष कर्मी के वेतन में अंतर हर क्षेत्र में है। लेकिन कुछ सेक्टर्स मसलन- आईटी/आईटीएस सेक्टर में सर्वाधिक अंतर देखने को मिलता है। यहां पुरुषों का वेतन, महिलाओं के मुकाबले 26 फीसदी ज्यादा है। वहीं विनिर्माण क्षेत्र में महिला और पुरुषों की आय में 24 प्रतिशत का अंतर दिखता है। इन दोनों सेक्टर में सबसे ज्यादा इनकम गैप है। हेल्थकेयर और सोशलवर्क सेक्टर में भी यह गैप देखने को मिलता है। इन सेक्टर्स में भी पुरुषों की आय महिलाओं के मुकाबले 21 फीसदी ज्यादा है।
हालांकि वित्तीय सेवा क्षेत्रों जैसे कि बैंकिंग और इंश्योरेंस जैसे सेक्टर में पुरुषों और महिलाओं की आय में कम फासला देखने को मिलता है. इन सेक्टर्स में महिलाओं की आय पुरुषों के मुकाबले 2 प्रतिशत कम है। रिपोर्ट के अनुसार महिला कर्मी और पुरुष कर्मी के बीच का यह गैप अनुभव के साथ बढ़ रहा है। नौकरी शुरू करने के प्रारंभिक वर्षों में, लिंग वेतन अंतर मध्यम है, लेकिन जैसे-जैसे कार्यकाल बढ़ता है आय के बीच का अंतर भी बढ़ता है।
हैरान करने वाली बात यह है कि जेंडर पे गैप उच्च कौशल स्तर वाली नौकरियों में ज्यादा है। जबकि मध्यम कौशल स्तर वाली नौकरियों में महिला और पुरुष की आय के बीच ना के बराबर अंतर है। रिपोर्ट की मानें तो देश की 60 फीसदी कामकाजी महिलाओं को लगता है कि कार्यस्थल पर उनके साथ भेदभाव होता है। ज्यादातर महिला कर्मियों को यह भी लगता है कि शादी के बाद ऑफिस में उन्हें गंभीरता से नहीं लिया जाता। वहीं 46 प्रतिशत महिलाओं का मानना है कि मां बनने के बाद उनके बारे में यह धारणा बना ली जाती है कि महिला कर्मी नौकरी छोड़ देगी।