नगर निगम के प्राथमिक स्कूलों में  बुनियादी सुविधाओं का अभाव

Edited By bharti,Updated: 15 Apr, 2019 06:33 PM

lack of basic infrastructure in municipal primary schools

लोकसभा चुनाव में हर दल अपने घोषणा पत्र में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए घोषणा तो करते है, लेकिन ...

नई दिल्ली(प्रियंका सिंह): लोकसभा चुनाव में हर दल अपने घोषणा पत्र में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए घोषणा तो करते है, लेकिन उस पर अमल नहीं हो पाता है। यही वजह है कि राजधानी दिल्ली के नगर निगम द्वारा चलाए जा रहे प्राथमिक स्कूल में व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है। नगर निगम के स्कूलों में छात्रों को बुनियादी सुविधा तक मयस्सर नहीं है। कहने को तो छात्रों की सुरक्षा को लेकर नगर निगम की तरफ से स्कूलों में आगंतुक रजिस्टर दिए गए हैं लेकिन, उस रजिस्टर को मैनटेन के लिए सुरक्षा कर्मी मौजूद नहीं है। साथ ही चुनाव आते ही नगर निगम के शिक्षकों की ड्यूटी चुनाव में लगा दी जाती है, जिसकी वजह से बच्चों की शिक्षा पर बहुत बुरा असर पड़ता है। नगर निगम शिक्षक संस्थान  के उपाध्यक्ष ने बताया कि नगर निगम स्कूलों को डिजीटल करने के लिए कंप्यूटर तो दे दिए है, किंतु ऑनलाइन डाटा अपडेट करने के लिए कोई कर्मचारी नहीं दिया है। जिसकी वजह से स्कूल के शिक्षकों को ही सारा काम करना पड़ता है। इसी तरह स्कूलों में सफाई कर्मचारी की बहुत कमी है, जिसकी वजह से सफाई व्यवस्था भी स्कूलों में चरमराई हुई। उन्होंने बताया कि दिल्ली के अंदर 1661 एमसीडी स्कूल चलते हैं। लेकिन इनमें से किसी भी स्कूल में बच्चों की सुरक्षा के लिए गार्ड की तैनात नहीं की गई हैं।

शिक्षकों के रिक्त पड़े हैं पद
दिल्ली नगर निगम में शिक्षकों के लगभग छह हजार पद खाली पड़े है। सबसे बुरा हाल तो नगर निगम में स्पेशल एजुकेटर पद का है। दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में स्पेशल एजुकेटर के लिए 1540 पद की स्वीकृति दी गई है जिनमें से सिर्फ 417 पदों पर स्पेशल एजुकेटर की भर्ती की गई है। ऐसे में स्पेशल एजुकेटर की 67 फीसदी सीट खाली पड़ी है। साथ ही सहायक शिक्षक के लगभग 310 पद खाली पड़े हुए है। आलम यह है कि नगर निगम को वर्ष 2017 में हाईकोर्ट ने नगर निगम के स्कूल में पंजाबी, उर्दू और तमिल स्कूलों में रिक्त पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकालने के लिए कहा था। नगर निगम स्कूल में कार्यरत शिक्षिका मुनज्जा शम्स ने बताया कि 11 अप्रैल 2017 को दिल्ली हाई कोर्ट ने डीएसएसबी को पंजाबी, उर्दू, बंगाली और तमिल स्कूलों खाली पड़े पदों पर नियुक्ति निकालने के लिए कहा था। बकायदा नगर निगम द्वारा डीएसएसएसबी को नगर निगम द्वारा सूची भेज दी गई थी, लेकिन अभी तक इन पदों पर वैकेंसी नहीं 
निकाली गई है। 

82 नगर निगम स्कूलों में ही सीसीटीवी
दिल्ली के तीनों नगर निगम में लगभग 1661 स्कूल चलते हैं जिसमें से सिर्फ 82 स्कूलों में ही सीसीटीवी लगाए गए हैं जबकि 1579 स्कूलों में सीसीटीवी नहीं लगाए गए हैं। सबसे बुरा हाल तो उत्तरी नगर निगम का है, यहां के एक भी स्कूल में सीसीटीवी कैमरा नहीं लगाया गया है। उत्तरी नगर निगम के अंदर 715 स्कूल चलते हैं। वहीं, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में लगभग 581 स्कूलों से सिर्फ 62 स्कूलों में सीसीटीवी कैमारा गया गया है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम में 365 स्कूल है, जिनमें से 18 फीसदी स्कूलों में कैमरा लगाए जा चुके है। 

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