NEET:  एमसीआई के नियमों की उड़ी धज्जियां, डोनेशन लेकर बुक की जा रही हैं सीटें

Edited By pooja,Updated: 19 Jul, 2018 10:25 AM

neet seats booked with donation

नेशनल एलिजिबिलिटी-कम-एन्ट्रेंस टेस्ट (नीट) परीक्षा के उद्देश्य को कुछ शातिर पलीता लगाने में जुटे हुए हैं। नीट परीक्षा पास करने के बाद भी जहां एक तरफ युवा प्रवेश के

नई दिल्ली : नेशनल एलिजिबिलिटी-कम-एन्ट्रेंस टेस्ट (नीट) परीक्षा के उद्देश्य को कुछ शातिर पलीता लगाने में जुटे हुए हैं। नीट परीक्षा पास करने के बाद भी जहां एक तरफ युवा प्रवेश के लिए धक्के खा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ यह शातिर पहले ही मोटी रकम लेकर मेडिकल की सीटों को ब्लॉक कर रहे हैं। यह सीटें ऐसे लोगों को आवंटित की जा रही हैं जो कि नीट परीक्षा में निचली रैंकिंग पाने की वजह से प्रवेश लेने के पात्र नहीं होते हैं।  

यहां बता दें कि नीट परीक्षा के आयोजन का मकसद मेडिकल कॉलेजों में दाखिले की इच्छा रखने वाले छात्रों पर मानसिक और आर्थिक बोझ को हल्का करना था। भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के साझा प्रयासों की वजह से ही सभी मेडिकल अभ्यर्थियों को एक ही परिधि में लाने वाला नीट अस्तित्व में आ सका था।  अप्रैल 2016 में शीर्ष अदालत ने नीट को दोबारा अमल में लाने का आदेश दिया। ये एमसीआई की उस अधिसूचना को कोर्ट की ओर से अवैध करार देने के तीन साल बाद हुआ। इसमें एमबीबीएस और बीडीएस के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा कराने का प्रावधान था। हालांकि इसके बावजूद देशभर के मेडिकल कालेजों में योग्यता की अनदेखी कर ऐसे छात्रों को प्रवेश दिया जा रहा है, जिनकी रैंकिंग नीट परीक्षा में निचले स्तर पर रही है। सूत्रों के मुताबिक एक मेडिकल कालेज का उच्च प्रबंधन 14-15 लाख रुपये में निचली रैंकिंग वालों को प्रवेश देकर नीट ही नही एमसीआई के नियमों की भी धज्जियां उड़ा रहा है। 

ऐसे छात्रों से मेडिकल फीस अलग से वसूल की जाती है। सूत्र बताते हैं कि इस कालेज में मेडिकल की कुल 150 सीटें हैं, जिसमें से 50 से 60 सीटें हर साल मॉप अप राउंड के लिए रखी जाती हैं। इनमें से करीब 30 सीटें कालेज प्रबंधन द्वारा ब्लॉक कर 200 से कम नंबर पाने वाले छात्रों को डोनेशन के आधार दे दी जाती हैं। यहां बता दें कि नीट क्वालीफाई करने वाले छात्रों को निर्धारित काउंसलिंग अधिकारियों के सामने योग्यता के आधार पर सरकारी या प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में दाखिले की संस्तुति के लिए आवेदन करना होता है। काउंसलिंग स्टेज में जो बच जाते हैं वो दाखिले के लिए फाइनल मॉप-अप राउंड में हिस्सा ले सकते हैं। उन्हें ऐसे कालेजों में भेजा जाता है, जहां सीटें बची होती हैं। यहीं पर मेरठ जैसे कालेज खेल कर जाते हैं और लिस्ट भेजे जाने से पहले ही वह निचली रैंकिंग वाले आवेदकों के लिए सीट बुक कर लेते हैं। 


विदेशों तक फैला है नेटवर्क 
मेडिकल प्रवेश में खेल करने वालों का नेटवर्क देश ही नहीं विदेश तक फैला हुआ है। एमबीबीएस में दाखिला दिलाने का दावा करने वाले एक शख्स ने बताया कि नीट में कम रैकिंग पाने वाले विद्यार्थियों को वे विदेश में दाखिला लेने की सलाह देते हैं। वहां वह आसानी से उनका प्रवेश करा देते हैं, लेकिन यदि कोई  अपने ही देश में दाखिला पर जोर देता है तो उनकी साठगांठ चेन्नई समेत साउथ के कई कॉलेजों में है। जहां वे 14-15 लाख लेकर दाखिला करा देते हैं। यही नहीं दिल्ली एनसीआर के कॉलेजों में भी उसने मोटी रकम लेकर दाखिला दिलाने का दावा किया है। 
 

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