किसी को भी मैडीकल और कानून की शिक्षा का माखौल बनाने की इजाजत नहीं : न्यायालय

Edited By Sonia Goswami,Updated: 19 Feb, 2019 09:35 AM

nobody is allowed to make medical and medical education mask court

उच्चतम न्यायालय ने सख्त शब्दों में कहा कि देश में किसी को भी मैडीकल और कानून की शिक्षा का माखौल बनाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने सख्त शब्दों में कहा कि देश में किसी को भी मैडीकल और कानून की शिक्षा का माखौल बनाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। न्यायालय ने चेतावनी दी कि इसकी गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे।   

  

शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी के लिए यह धन अर्जित करने का साधन हो सकता है परंतु न्यायालय का सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता से सरोकार है। न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब भारतीय चिकित्सा परिषद के वकील ने कहा कि उसे उत्तर प्रदेश के एक मेडिकल कालेज में निरीक्षण की इजाजत नहीं दी जा रही है। पीठ ने कहा, ‘‘हम किसी को भी देश में मैडीकल शिक्षा का मखौल बनाने की अनुमति नहीं दे सकते। दूसरा क्षेत्र कानून की शिक्षा है जिसे लेकर हम चिंतित हैं। शिक्षा की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ करने वाले किसी भी व्यक्ति से सख्ती से निबटा जाएगा।’’  

 

पीठ ने कहा, ‘‘कुछ के लिए यह धन अर्जित करने का मामला हो सकता है परंतु न्यायालय का सरोकार सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर है।’’भारतीय चिकित्सा परिषद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि उप्र का एक कालेज न्यायालय के निर्देश के बावजूद निरीक्षण दल को प्रवेश की इजाजत नहीं दे रहा है। सिंह ने कहा, ‘‘हम यह कहना चाहते हैं कि एक कालेज में तो ऐसी खामियां हैं जिनके लिए किसी न किसी को जेल भेजने की आवश्यकता है।’’ इस पर, पीठ ने कहा कि यदि ऐसी बात है तो हम अगले साल से ऐसे कालेजों पर अपने यहां दाखिला लेने से रोक देंगे।

 

न्यायालय ने बिहार, उप्र और झारखण्ड को भारतीय चिकित्सा परिषद की याचिका पर चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुये इस मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 18 जून को अपवाद स्वरूप इन तीन राज्यों में आठ सरकारी मैडीकल कालेजों को वर्ष 2018-19 शैक्षणिक सत्र में एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में 800 छात्रों को प्रवेश करने की अनुमति दी थी। कतिपय खामियों की वजह से केन्द्र से इन मैडीकल कालेजों को अपने यहां छात्रों को प्रवेश देने पर प्रतिबंधित कर दिया था।     

 

शीर्ष अदालत ने बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखण्ड के इन मैडीकल कालेजों में इंगित की गयी खामियों को एक निश्चित समय सीमा के भीतर दूर करने के लिए मुख्य सचिव और मैडीकल शिक्षा के प्रभारी प्रमुख सचिव की जिम्मेदारी निर्धारित की थी।  न्यायालय ने भारतीय चिकित्सा परिषद को तीन महीने बाद इन मैडीकल कालेजों का निरीक्षण करने के लिये कहा था कि क्या राज्य सरकारों ने इनकी खामियों को दूर किया। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!