HPU: अब इन तीन विषयों में भी PHD कर सकेंगे विद्यार्थी

Edited By ,Updated: 25 Feb, 2017 04:32 PM

now these three themes will also phd student

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद से एकीकृत हिमालय अध्ययन संस्थान को अलग विभाग डिपार्टमेंट ऑफ इंटर डिस्पिलेनरी स्टडीज बनाए जाने के बाद इसे एचपीयू के आर्डिनेंस का हिस्सा ...

शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद से एकीकृत हिमालय अध्ययन संस्थान को अलग विभाग डिपार्टमेंट ऑफ इंटर डिस्पिलेनरी स्टडीज बनाए जाने के बाद इसे एचपीयू के आर्डिनेंस का हिस्सा बना दिया गया है। एचपीयू से अब पर्यावरण विज्ञान, ग्रामीण विकास और हिंदी पत्रकारिता में भी पीएचडी हो सकेगी। लंबे समय से इस दिशा में प्रक्रिया जारी थी। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की सर्वोच्च संस्था कार्यकारी परिषद (ई.सी.) ने वर्ष 2013 में आईआईएचएस को विश्वविद्यालय का विभाग बनाने के लिए स्वीकृति प्रदान की थी। यहां पर विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करने के लिए 3 अलग-अलग फैकल्टी के तहत शिक्षा प्रदान की जाएगी।

इन विषयों की पढ़ाई के लिए विभाग में बनेंगे 3 स्कूल
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. पंकज ललित ने इसकी अधिसूचना जारी की है। डिपार्टमेंट ऑफ इंटर डिस्पिलेनरी स्टडीज (यूजीसी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) बनाए आईआईएचएस में अब तीन स्कूल ग्रामीण विकास, पर्यावरण विज्ञान और हिंदी पत्रकारिता के तहत पीएचडी तक की पढ़ाई करवाई जाएगी। इसमें प्रवेश लेने से लेकर डिग्री देने तक के नियम बनाकर शामिल किए हैं। इन विषयों की पढ़ाई के लिए विभाग के तहत तीन स्कूल बनेंगे, जिसमें स्कूल आफ एनवायरनमेंट  साइंस, स्कूल आफ डेवलपमेंट स्टडीज और स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट के तहत संचालित किया जाएगा। विभाग में वर्तमान में चलाए जा रहे चारों कोर्ट और नए पीजी कोर्स अलग बनाई गई फैकल्टी ऑफ इनवायरमेंट, डेवलपमेंट एंड सस्टेनेबिलिटी के तहत चलाए जाएंगे।

आईआईएचएस में वर्तमान में चल रहे ये कोर्स
नए इंटर डिस्पलेनरी स्टडीज विभाग (आईआईएचएस) में वर्तमान में एमबीए ग्रामीण विकास, एमएससी पर्यावरण विज्ञान और एमएफए पहाड़ी मिनियेचर और आपदा प्रबंधन में पीजी डिप्लोमा पिछले कई सालों से चलाया जा रहा है। फिलहाल इस नए विभाग में हिंदी पत्रकारिता की पीजी डिग्री शुरू नहीं की गई है, मगर इसे मंजूरी मिल गई है।

छात्रों को डिग्री में नहीं आएगी परेशानी
एचपीयू ने आईआईएचएस में अब तक चलाए जा रहे चार पीजी कोर्स को अलग-अलग फैकल्टी के तहत लाकर डिग्री देने की अस्थाई व्यवस्था की थी। इसमें एमबीए ग्रामीण विकास कामर्स एंड मैनेजमेंट से, एमएससी पर्यावरण विज्ञान फैकल्टी आफ लाइफ सांइस से दिया गया। अब जबकि संस्थान अलग विभाग और इसके लिए अलग फैकल्टी बन गई है तो अब इसमें किसी तरह से छात्रों को डिग्री करने में दिक्कत नहीं आएगी। 

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