NEET रिजर्वेशन मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा - आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं

Edited By Riya bawa,Updated: 11 Jun, 2020 02:16 PM

sc refuses obc reservation in neet all india quota

तमिलनाडु में NEET पोस्ट ग्रेजुएशन रिजर्वेशन मामले को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है। कोर्ट ने तमिलनाडु में मेडिकल सीटों पर OBC आरक्षण नहीं दिए जाने के...

नई दिल्ली: तमिलनाडु में NEET पोस्ट ग्रेजुएशन रिजर्वेशन मामले को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है। कोर्ट ने तमिलनाडु में मेडिकल सीटों पर OBC आरक्षण नहीं दिए जाने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। 

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कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु की सभी राजनीतिक पार्टियां राज्य के ओबीसी के कल्याण के एक साथ मिलकर आगे आई हैं, यह असामान्य बात है लेकिन आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है।

दरअसल, DMK-CPI-AIADMK समेत अन्य तमिलनाडु की कई पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में NEET के तहत मेडिकल कॉलेज में सीटों को लेकर तमिलनाडु में 50 फीसदी OBC आरक्षण के मामले पर याचिका दायर की थी, इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई थी। लेकिन कोर्ट ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। इसी दौरान जस्टिस राव ने कहा कि आरक्षण कोई बुनियादी अधिकार नहीं है. सभी यचिकाएं सुप्रीम कोर्ट से वापस ली जाएं. आप हाईकोर्ट जा सकते हैं। 

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कोर्ट ने कहा कि आरक्षण कोई मौलिक अधिकार नहीं है, जिसे हम अनुच्छेद 32 का उपयोग कर सुनवाई कर सकते हैं। अदालत ने याचिकाकर्ता को इस मामले में हाईकोर्ट जाने के लिए कहा है। अदालत के इस फैसले के बाद आगामी नीट मेडिकल एग्जाम में तमिलनाडु के ओबीसी वर्ग को 50 प्रतिशत आरक्षण मिलने की राहें मुश्किल हो गई है। 

राइट टू रिजर्वेशन
राइट टू रिजर्वेशन का मतलब होता है रिजर्वेशन का मौलिक अधिकार। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि अनुच्छेद 16 के तहत मिलने वाला आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 16(4) और 16(4ए) के तहत आरक्षण का अधिकार राज्यों को देना है, लेकिन यह मौलिक अधिकार नहीं है. हालांकि कोर्ट के इस फैसले के बाद देशभर में इसको लेकर बवाल मचा था। 

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