टॉपर कल्पना के जरिए बिहार बोर्ड का बदनाम चेहरा फिर आया सामने

Edited By pooja,Updated: 07 Jun, 2018 03:23 PM

the bad face of the bihar board came through the topper kalpna

बुधवार की शाम को बिहार बोर्ड इंटरमीडिएट परीक्षा 2018 के नतीजे घोषित कहुए। देशभर में NEET टॉपर रही कल्पना कुमारी ने बिहार बोर्ड के 12वीं के सांइस स्ट्रीम में भी टॉप किया और उसे 434 अंक प्राप्त हुए।

मुंबई: बुधवार की शाम को बिहार बोर्ड इंटरमीडिएट परीक्षा 2018 के नतीजे घोषित हुए। देशभर में NEET टॉपर रही कल्पना कुमारी ने बिहार बोर्ड के 12वीं के सांइस स्ट्रीम में भी टॉप किया और उसे 434 अंक प्राप्त हुए।

हालांकि, कल्पना कुमारी के बिहार बोर्ड के विज्ञान संकाय में टॉप करने की घोषणा के तुरंत बाद एक बड़ा विवाद शुरू हो गया, जिसको लेकर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने झूठ बोलकर अपनी इज्जत बचाने में बेहतरी समझी।

बता दें कि  10वीं या 12वीं बोर्ड की परीक्षा में बैठते हैं, तो आपको कक्षा में न्यूनतम उपस्थिति होना अनिवार्य होता है। कई जगहों पर छात्रों के लिए न्यूनतम उपस्थिति 75 फीसदी है।

बवाल इस बात से उठा है, क्योंकि बिहार बोर्ड ने इस बार एक ऐसी छात्रा को विज्ञान संकाय का टॉपर बना दिया, जिसने कभी अपने स्कूल में क्लास का मुंह तक नहीं देखा। दरअसल, पिछले हफ्ते NEET परीक्षा में टॉप करने के तुरंत बाद कल्पना कुमारी ने कई जगहों पर यह इंटरव्यू में बताया कि वह पिछले 2 साल से लगातार दिल्ली में आकाश इंस्टिट्यूट से मेडिकल की तैयारी कर रही थीं। इसी दौरान बिहार बोर्ड से 12वीं की परीक्षा देने के लिए कल्पना ने अपने गृह जिला शिवहर के तरियानी में स्थित YKJM कॉलेज में दाखिला भी लिया हुुआ था।

12वीं की बोर्ड परीक्षा देने के लिए कल्पना ने इसी कॉलेज से बिहार बोर्ड का फॉर्म भरा था। इस परीक्षा के विज्ञान संकाय में वह टॉप कर गईं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब कल्पना पिछले 2 सालों से दिल्ली में आकाश इंस्टिट्यूट से मेडिकल की तैयारी कर रही थी, तो फिर वह शिवहर के कॉलेज के क्लास में न्यूनतम उपस्थिति कैसे दर्ज करा रही थी?

आनंद किशोर ने आनन-फानन में यह ऐलान कर दिया कि बिहार के स्कूलों में किसी भी छात्र के लिए न्यूनतम उपस्थिति का कोई प्रावधान नहीं है। इसका मतलब यह हुआ कि बिहार के सरकारी स्कूल में या फिर बिहार के बोर्ड से मान्यता प्राप्त किसी भी स्कूल में आप केवल दाखिला ले लीजिए, क्लास मत करिए और आराम से बोर्ड की परीक्षा भी दे दीजिए और टॉप कर जाइए।

बिहार शायद देश का ऐसा इकलौता प्रदेश बन गया है, जहां के सरकारी स्कूलों में छात्र छात्राओं के लिए न्यूनतम उपस्थिति का कोई प्रावधान ही नहीं है। यानी छात्र स्कूल आए ना आए कोई फर्क नहीं पड़ता, बस परीक्षा में बैठ जाइए और टॉप कर जाइए।

 

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