यूजीसी सर्कुलर का असर नॉन टीचिंग पदों पर भी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Apr, 2018 12:06 PM

the effect of ugc circular on non teaching positions

यूजीसी के 5 मार्च के सर्कुलर का असर नॉन टीचिंग लैब कर्मचारियों पर भी पडऩा शुरू हो गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि यूजीसी ने 5 मार्च को जो पत्र भेजा है

नई दिल्ली : यूजीसी के 5 मार्च के सर्कुलर का असर नॉन टीचिंग लैब कर्मचारियों पर भी पडऩा शुरू हो गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि यूजीसी ने 5 मार्च को जो पत्र भेजा है वह टीचिंग के साथ-साथ नॉन टीचिंग कर्मचारियों पर लागू होता है। सर्कुलर में 2006 के उस पत्र का हवाला दिया गया है जिसमें कहा गया है कि डिपार्टमेंट वाइज रोस्टर बनाते समय टीचिंग व नॉन टीचिंग पदों पर लागू होगा। 

डीयू एकेडमिक काउंसिल सदस्य प्रो. हंसराज सुमन का कहना है कि विभागों व कॉलेजों में लैब अटेंडेंट, लैब असिस्टेंट, टेक्निकल असिस्टेंट, सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट और टेक्निकल ऑफिसर के पद होते हैं। इसी तरह से सब्जेक्ट में-फिजिक्स, केमेस्ट्री, बॉटनी, इन्वायरमेंटल साइंस, जूलॉजी, एंथ्रोपोलॉजी, सायकोलॉजी, ज्योग्राफी, कम्प्यूटर व म्यूजिक आदि डिपार्टमेंट में लैब होती है। पहले रोस्टर सभी विषय और विभाग को क्लब करके बनाया जाता था, अब दोनों क अलग बनेगा। इससे यह शैक्षिक के साथ ही नॉन टीचिंग को भी प्रभावित करेगा। 

यदि अगले महीने टीचिंग की तरह कर्मचारियों का रोस्टर बनता है तो कॉलेजों से एक हजार लैब कर्मचारी सिस्टम से बाहर हो जाएंगे। आगे बताया है कि पिछले 10 सालों से कॉलेजों व विभागों में नियुक्तियां और पदोन्नति ना होने से अनुबंध, टेम्परेरी और तदर्थ पर कार्य कर रहे ये कर्मचारी आयु सीमा पार कर चुके हैं ऐसी स्थिति में लैब वालों का रोस्टर डिपार्टमेंट वाइज बनता है तो वे सिस्टम से बाहर हो जाएंगे।

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