‘अवसरवादी, बेईमान’ हार्दिक पिछले छह साल से भाजपा के संपर्क में थे: कांग्रेस नेताओं का आरोप

Edited By PTI News Agency,Updated: 18 May, 2022 07:19 PM

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अहमदाबाद, 18 मई (भाषा) हार्दिक पटेल के कांग्रेस छोड़ने के बाद गुजरात में पार्टी के नेताओं ने बुधवार को पटेल पर निशाना साधते हुए उन्हें ‘बेईमान’ और ‘अवसरवादी’ करार दिया और आरोप लगाया कि वह पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान अपने खिलाफ दर्ज मामलों...

अहमदाबाद, 18 मई (भाषा) हार्दिक पटेल के कांग्रेस छोड़ने के बाद गुजरात में पार्टी के नेताओं ने बुधवार को पटेल पर निशाना साधते हुए उन्हें ‘बेईमान’ और ‘अवसरवादी’ करार दिया और आरोप लगाया कि वह पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान अपने खिलाफ दर्ज मामलों को खत्म कराने के लिए पिछले छह साल से सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संपर्क में थे।

कांग्रेस में तीन साल पहले शामिल हुए पटेल ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर गुजरात और गुजरातियों से नफरत करने का आरोप लगाते हुए बुधवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इस साल के राज्य विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे अपने त्याग पत्र में पटेल (28) ने कहा कि वह गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं।

इस कदम को लेकर गुजरात के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शक्तिसिंह गोहिल ने पटेल पर निशाना साधते हुए उन्हें व्यक्तिगत लाभ के लिए अपने पाटीदार समुदाय को धोखा देने का आरोप लगाया, जबकि कांग्रेस की गुजरात इकाई के प्रभारी रघु शर्मा ने उन पर अन्य पार्टियों के साथ ‘‘पिछले दरवाजे से समझौता’’ करने का आरोप लगाया। शर्मा ने यह भी दावा किया कि पटेल में अनुशासन की कमी थी।

शर्मा ने पत्रकारों से कहा, ‘‘हार्दिक बेईमानी और धोखाधड़ी की राजनीति में लिप्त थे। कांग्रेस ने उन्हें पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान एक स्टार प्रचारक बनाया था। वह अपने भाषणों में भाजपा की आलोचना करते थे। आखिर अचानक ऐसा क्या बदल गया है? वह पिछले छह साल से अपने खिलाफ मामले वापस लेने के लिए भाजपा के संपर्क में थे।’’
शर्मा ने आरोप लगाया कि पटेल को गुजरात कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन वे पूरी प्रदेश पार्टी इकाई पर पूर्ण नियंत्रण चाहते थे। शर्मा ने कहा, ‘‘हार्दिक परेशान थे क्योंकि ऐसी खबरें थीं कि पाटीदार नेता नरेश पटेल कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। हार्दिक ने सोचा कि नरेश पटेल उनकी जगह ले लेंगे। मैंने देखा है कि हार्दिक में किसी भी राजनीतिक व्यवस्था में अनुशासन की कमी है। यदि आपके पास अपना निजी एजेंडा है, तो आप किसी भी व्यवस्था में टिके नहीं रह सकते।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ समय से वह पार्टी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे। वह चाहते थे कि हम नरेश पटेल को पार्टी में नहीं लें और केवल उनकी बात सुनें। वह राजनीतिक जमीन हासिल करने के लिए राहुल गांधी के करीब रहने की कोशिश करते थे। अब, वह नेतृत्व की आलोचना कर रहे हैं। यह दर्शाता है कि वह एक अवसरवादी हैं।’’
गोहिल ने दिल्ली में पत्रकारों से कहा, ‘‘जब एक निचली अदालत ने हार्दिक के खिलाफ दंगा मामले को वापस लेने के लिए गुजरात सरकार की याचिका को खारिज कर दिया, तो राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। इससे साबित होता है कि हार्दिक अपने खिलाफ मामले वापस लेने के लिए भाजपा के संपर्क में थे।’’ गोहिल ने कहा कि हार्दिक ने भाजपा के साथ पिछले दरवाजे से कुछ सौदे किए और भविष्यवाणी की कि हार्दिक निकट भविष्य में भाजपा में शामिल होंगे।

गुजरात से राज्यसभा सदस्य ने पूछा, ‘‘जब आपने पाटीदार आरक्षण आंदोलन शुरू किया था, तब आपने समुदाय के लिए कई मांगें रखी थीं। सरकार ने कितनी मांगें पूरी कीं? तो किस तरह के व्यक्तिगत लाभ के लिए आप अपने समुदाय को धोखा दे रहे हैं और वहां (भाजपा) जा रहे हैं।’’ गोहिल ने यह भी कहा कि पटेल ने सोनिया गांधी को लिखे अपने पत्र में जो कुछ लिखा है, वह उन्होंने भाजपा के इशारे पर किया है।

कांग्रेस अध्यक्ष को लिखे अपने पत्र में पटेल ने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर कांग्रेस और उसके नेतृत्व को हर चीज का विरोध करने तक सीमित कर दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘अयोध्या में राम मंदिर हो, जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करना, भारत लंबे समय से इन मुद्दों का समाधान चाहता था और कांग्रेस ने केवल सड़क पर विरोध जताने की भूमिका निभाई।’’
पटेल, 2015 में राज्य में पाटीदार समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व करने के बाद चर्चा में आए थे। पार्टी में तीन साल पहले शामिल होने के बाद पटेल को जुलाई 2020 में गुजरात कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था।



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