हरियाणा में पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में 3.53 करोड़ का घोटाला

Edited By Priyanka rana,Updated: 15 May, 2019 08:42 AM

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हरियाणा में एस.सी. और एस.टी. छात्रों को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति देने के नाम पर तीन करोड़ 53 लाख 10 हजार 500 का घोटाला उजागर हुआ है।

चंडीगढ़(सुशील) : हरियाणा में एस.सी. और एस.टी. छात्रों को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति देने के नाम पर तीन करोड़ 53 लाख 10 हजार 500 का घोटाला उजागर हुआ है। सैक्टर-17 स्थित हरियाणा अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के अभाव कल्याण विभाग में तैनात अकाऊंटैंट ने छात्रों के आधार नंबर बदलकर पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति अन्य लोगों के खाते में भिजवाकर करोड़ों रुपए का गबन कर दिया। 

हरियाणा अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के अभाव कल्याण विभाग के प्रिंसीपल सैके्रटरी संजीव वर्मा की शिकायत पर आर्थिक अपराध शाखा ने अकाऊंटैंट सुरेंद्र कुमार के खिलाफ धोखाधड़ी, साजिश रचने, गबन करने और भ्रष्टाचार की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। 

स्टूडैंट्स के आधार कार्ड नंबर बदलकर किया गबन :
हरियाणा अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के अभाव कल्याण विभाग के प्रिंसीपल सैके्रटरी संजीव वर्मा ने 13 अप्रैल को चंडीगढ़ पुलिस को शिकायत दी कि हरियाणा में 352 एस.सी. और एस.टी. स्टूडैंट्स को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के 3 करोड़ 53 लाख 10 हजार 500 रुपए अकाऊंट के जरिए दिए जाने थे। इनमें फरवरी और मार्च में 170 छात्रों को एक करोड़ 71 लाख 67 हजार 800 रुपए और 182 छात्रों को एक करोड़ 81 लाख 42 हजार 700 रुपए की छात्रवृत्ति दी जानी थी। 

सोनीपत डिस्ट्रिक्ट वैलफेयर आफिस से डेपुटेशन पर अकाऊंटैंट सुरेंद्र कुमार को चंडीगढ़ स्थित ऑफिस में भेजा गया था। अकाऊंटैंट ने 352 छात्रों की छात्रवृत्ति के बिल बनाकर विभाग के प्रिंसीपल सैके्रटरी को 14 जनवरी से 31 मार्च, 2019 को भेजे थे। उन्होंने सभी बिल पास करने के लिए ट्रैजरी में भेज दिए थे। पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति छात्रों के आधार कार्ड लिंक वाले खाते में जानी थी। 

आरोप है कि अकाऊंटैंट सुरेंद्र कुमार ने पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति भेजने के समय स्टूडैंट्स के आधार कार्ड नंबर बदल बैंक को दे दिए। संबंधित बैंक ने दिए गए छात्रों के आधार कार्ड लिंक वाले खातों में करोड़ों रुपए की छात्रवृत्ति भेज दी। स्टूडैंट्स को समय पर छात्रवृत्ति नहीं मिली तो मामले का खुलासा हुआ। 

जांच कमेटी ने अकाऊंटैंट को आरोपी पाया :
विभाग ने मामले की जांच के लिए सी.ए.ओ. अनिता गोयल के नेतृत्व में कमेटी बनाई। इसमें डिप्टी डायरैक्टर सतनाम और जूनियर प्रोग्रामर रितु गुप्ता शामिल थे। जांच में मौजूदा सोनीपत डिस्ट्रिक्ट वैल्फेयर ऑफिस में तैनात अकाऊंटैंट सुरेंद्र कुमार को गबन का आरोपी पाया गया। आई.ए.एस. धनपत सिंह ने सुरेंद्र कुमार के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करवाने के आदेश दिए। आदेश मिलते ही मामले की शिकायत पुलिस को दी। 

इनकी भूमिका भी संदिग्ध :
जांच में कहा गया है कि सोनीपत डिस्ट्रिक्ट वैल्फेयर ऑफिसर सुरेंद्र कुमार, रिटायर्ड डिप्टी डायरैक्टर आर.एस. सांगवान, असिस्टैंट बलिंदर सिंह, प्लानिंग एंड ड्राइंग डिस्ट्रिब्यूशन ऑफिस के डिप्टी डायरैक्टर अनिल कुमार, असिस्टैंट रामधारी, क्लर्क संजीव कुमार, डी.ई.ओ. संजीव कुमार की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। चंडीगढ़ पुलिस को इन सभी की भूमिका जांचने को कहा गया है। 

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