Edited By Seema Sharma,Updated: 27 Jun, 2021 11:06 AM
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पांच दिवसीय बैठक के बाद शुक्रवार को घोषणा की कि पाकिस्तान ग्रे सूची के रूप में जाने जाने वाले ''विस्तृत निगरानी सूची'' में बना रहेगा। पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बनाए रखने के फैसले से इमरान खान सरकार को बड़ा...
इंटरनेशनल डेस्क: फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पांच दिवसीय बैठक के बाद शुक्रवार को घोषणा की कि पाकिस्तान ग्रे सूची के रूप में जाने जाने वाले 'विस्तृत निगरानी सूची' में बना रहेगा। पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बनाए रखने के फैसले से इमरान खान सरकार को बड़ा झटका लगा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक FATF के इस फैसले के बाद आर्थिक संकट से जझ रहे पाकिस्तान की हालत और खराब हो सकती है। 'ग्रे लिस्ट' पर बने रहने का मतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF सहित अंतर्राष्ट्रीय निकायों से पारिस्तान को आर्थिक मदद पाने में मुश्किल आएगी।
इस्लामाबाद स्थित स्वतंत्र थिंक-टैंक 'तबादलाबी' द्वारा प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में बताया गया कि FATF पाकिस्तान को साल 2008 से ग्रे लिस्ट में बनाए रखने के फैसले के कारण देश को 38 अरब डॉलर का भारी नुकसान हुआ है, यानि कि यह संकट आगे और भी बढ़ सकता है। इस रिसर्च पेपर को नाफी सरदार ने लिखा है। इस पेपर का शीर्षक पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर FATF की ग्रे-लिस्टिंग का प्रभाव है। रिसर्च पेपर में कहा गया कि FATF की ग्रे-लिस्टिंग 2008 से शुरू हुई थी और इससे साल 2019 तक लगभग 38 अरब डॉलर का सकल घरेलू उत्पाद का नुकसान हुआ।
वहीं पकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में रखने पर FATF अध्यक्ष डॉ. माकर्स प्लेयर ने कहा कि 2019 में एफएटीएफ के क्षेत्रीय साझेदार ने पाकिस्तान के हवाला कारोबार रोधी उपायों में समस्याओं की पहचान की और उसके अनुसार इसमें कुछ सुधार हुआ है। हवाला कोरोबार का हालांकि खतरा अभी भी बना हुआ है और FATF ने इस संबंध में पाकिस्तान के साथ चर्चा की है। बता दें कि कुछ दिन पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि देश की हालिया प्रगति को देखते हुए वित्तीय निगरानी संस्था के पास पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में रखने का कोई औचित्य नहीं है।