Edited By ,Updated: 01 Jul, 2015 03:08 PM
एड्स जैसी खतरनाक बीमारी का ठोस इलाज अभी तक किसी देश को नहीं मिल पाया था लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि मंगलवार को क्यूबा ने एच.आई.वी. में बड़ी कामयाबी हासिल की है।
हवानाः एड्स जैसी खतरनाक बीमारी का ठोस इलाज अभी तक किसी देश को नहीं मिल पाया था लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि मंगलवार को क्यूबा ने एच.आई.वी. में बड़ी कामयाबी हासिल की है। इसी के साथ वह मां से बच्चे में एचआईवी को रोकने वाला पहला देश बन गया है।
डब्लू.एच.ओ. के डायरेक्टर जनरल मार्गरेट चान का कहना है कि 'वायरस के संक्रमण को रोकना लोक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बड़ी कामयाबी है। ये एच.आई.वी. के खिलाफ हमारी एक बड़ी जीत है। एड्स मुक्त जेनरेशन के लिए ये कदम महत्वपूर्ण साबित होगा।'
स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि मां से बच्चे में संक्रमित वायरस के मामले एक लाख से गिरकर 50 पर आ गए हैं हालांकि मां से बच्चे में जाने वाले एचआईवी वायरस से बचाव के लिए एंटीरेट्रोवायरल ट्रीटमेंट 100 फीसदी कारगर नहीं है, जिससे अब भी कुछ मामले सामने आ रहे हैं।
संक्रमण को जड़ से खत्म करना लक्ष्य
क्यूबा के स्वास्थ्य अधिकारी 2010 से इन मामलों में गर्भवती महिलाओं को लेकर अधिक सावधानी बरती जाने, वायरस की जांच, एच.आई.वी. पॉजिटिव मरीजो का इलाज, उनके बच्चों की देखभाल, सिजेरियन डिलीवरी और स्तनपान का विकल्प ढ़ूंढ़ने का काम कर रहे थे।
आपको बता दें कि एच.आई.वी. वायरस के साथ जन्मे बच्चों की संख्या 2009 में चार लाख थी जो 2013 में 2,40,000 हो गई। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि वैश्विक लक्ष्य के अनुसार, इस आंकड़े को 2015 तक 40,000 पर लाने के लिए अभी काफी प्रयास करना होगा।