Edited By ,Updated: 24 Sep, 2015 08:30 PM
कैंसर पैदा करने वाले दो नये जीन उत्परिवर्तकों की पहचान की गयी है जो कैंसर से लडऩे के लिए पहले से मौजूद दवाओं को बेहतर बनाने में सहायक साबित हो सकते हैं।
वाशिंगटन: कैंसर पैदा करने वाले दो नये जीन उत्परिवर्तकों की पहचान की गयी है जो कैंसर से लडऩे के लिए पहले से मौजूद दवाओं को बेहतर बनाने में सहायक साबित हो सकते हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा है कि यह खोज फेफड़े और प्रोस्टेट के कुछ खास तरह के कैंसर के उपचार को अधिक लक्षित और प्रभावी बना सकती है। अनुसंधानकर्ताओं में भारतीय मूल का एक व्यक्ति भी शामिल है।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा है कि हाल में ढूंढे गये एमसीएम8 और एमसीएम9 जीन में उत्परिर्वतन पर उसी तरह की किमोथेरिपी दवाओं का बहुत अच्छा असर होगा। एेसा पहले ही स्तन कैंसर के बीआसीए1 तथा बीआरसीए2 जीन उत्परिवर्तनों पर प्रभावी साबित हो चुका है। अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया कैंसर सेंटर के प्रमुख अनुसंधानकर्ता अनिंद्य दत्ता कहते हैं ‘‘कैंसर में सबसे बड़ी समस्या यह है कि हम सभी तरह की समस्याओं को एक ही तरीके से ठीक करना चाहते हैं।
फलस्वरूप कैंसर के कुछ प्रकारों पर प्रभाव पड़ता है और कुछ पर नहीं।’’ उन्होंने कहा कि कल्पना कीजिए कि आप समस्या का सटीक समाधान ढूंढ पाये। अगर मरीज में बीआरसी1 और बीआरसीए2 उत्परिर्वतन हैं तो सिसप्लैटिन और आेलपैरिब सटीक समाधान हैं। इस अध्ययन का प्रकाशन ‘नेचर कम्युनिकेशन्स’ जर्नल में किया गया है।