Edited By Isha,Updated: 28 Dec, 2018 10:48 AM
ब्रैस्ट कैंसर के इलाज में उपयोग में लाई जाने वाली कुछ दवाएं फेफड़े के ट्यूमर (कैंसर) में भी उपयोगी साबित हो सकती हैं। इसका पता चूहों पर किए गए एक अध्ययन से चला है। अध्ययन में पता चला है कि चूहों के फेफड़े के ट्यूमर को ब्रैस्ट कैंसर
लंदन: ब्रैस्ट कैंसर के इलाज में उपयोग में लाई जाने वाली कुछ दवाएं फेफड़े के ट्यूमर (कैंसर) में भी उपयोगी साबित हो सकती हैं। इसका पता चूहों पर किए गए एक अध्ययन से चला है। अध्ययन में पता चला है कि चूहों के फेफड़े के ट्यूमर को ब्रैस्ट कैंसर की दवा ने काफी हद तक कम कर दिया। ऐसा इसलिए हुआ कि दवा ने ई.जी.एफ.आर. जीन को बढऩे से रोक दिया।
दरअसल, यह दवाई प्रोटीन पी110ए का बनना रोक देती है, जिसके चलते ट्यूमर बढ़ता है। इंगलैंड के फ्रांसिस क्रिक इंस्टीच्यूट के एसोसिएट रिसर्च डायरैक्टर जूलियन डाऊनवार्ड ने कहा कि इस दवा का प्रयोग जब ई.जी.एफ.आर. से संबंधित फेफड़े के कैंसर के रोगियों पर किया गया तो उसका बेहतर असर देखने को मिला।
कैंसर की दवाओं से शुरू में फायदा तो होता है, पर कुछ समय में इन दवाओं का असर खत्म हो जाता है। तब एक ही उपाय बचता है कीमोथैरेपी। नई दवा का प्रयोग यह देखने के लिए भी किया जा रहा है कि यह कैंसर के इलाज के दूसरे चरण में सफलतापूर्वक इस्तेमाल की जा सकती है या नहीं। बहरहाल, शुरुआत में चूहों पर इसका सकारात्मक असर दिखाई पड़ा है।