चीन ने अब तजिकिस्‍तान को धमकाया, पामीर के पहाड़ों पर ठोका दावा

Edited By Yaspal,Updated: 07 Aug, 2020 07:00 PM

china now threatens tajikistan claims pamir mountains

अपने विस्तारवादी नजरिए के चलते अक्सर सवालों के घेरे में रहने वाला चीन अब छोटे और गरीब मध्य एशियाई देश ताजिकिस्तान पर नजर जमा रहा है। बीते कुछ सप्ताहों में चीनी मीडिया में बार-बार यह कहा जा रहा है कि ताजिकिस्तान के क्षेत्र में आने वाले पामीर के पठार...

इंटरनेशनल डेस्कः अपने विस्तारवादी नजरिए के चलते अक्सर सवालों के घेरे में रहने वाला चीन अब छोटे और गरीब मध्य एशियाई देश ताजिकिस्तान पर नजर जमा रहा है। बीते कुछ सप्ताहों में चीनी मीडिया में बार-बार यह कहा जा रहा है कि ताजिकिस्तान के क्षेत्र में आने वाले पामीर के पठार चीन के अधिकार क्षेत्र में होने चाहिए। ताजिकिस्तान इससे काफी चिंतित है।

चीन के इतिहासकार चो याओ लू ने एक लेख में चीनी सूत्रों के हवाले से लिखा है कि पूरा पामीर इलाका चीन का हुआ करता था और अब यह चीन को वापस मिलना चाहिए। चीन के सरकारी मीडिया में प्रकाशित इस लेख को लेकर ताजिकिस्तान की चिंता तो बढ़ी भी है, रूस का भी इस ओर ध्यान गया है जो मध्य एशियाई देशों को अपना रणनीतिक क्षेत्र मानता है।

बता दें कि साल 2010 में चीन और ताजिकिस्तान के बीच एक सीमा समझौता हुआ था। इसमें ताजिकिस्तान को पामीर इलाके में अपना करीब 1158 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र चीन को सौंपना पड़ा था। चीन ताजिकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा के पास ताशकुरगां पर एक एयरपोर्ट का निर्माण भी कर रहा है, जो कि चिंता का एक और विषय है। 

याओ लू ने लिखा है, 'चीन राज्य के नवीनतम निर्माण के साथ (1911) अधिकारियों का पहला कार्य था कि अपनी खोई हुई जमीन वापस पाई जाए। कुछ क्षेत्र चीन को वापस कर दिए गए वहीं, कुछ इलाकों पर अभी भी पड़ोसी देशों का नियंत्रण है। ऐसा ही एक बेहद प्राचीन क्षेत्र पामीर है, जो वैश्विक शक्तियों के दबाव में करीब 128 साल तक चीन से बाहर रहा।'

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