Edited By Tanuja,Updated: 30 Jan, 2021 01:35 PM
विशेषज्ञों के अनुसार अमेरिका में सत्ता परिवर्तन का चीन पूरा लाभ लेना चाहता है। फिलहाल चीन की यह हरकत युद्ध के लिए कम और अमेरिका को सावधान करने के लिए ज्यादा है...
इंटरनेशनल डेस्कः दक्षिण चीन सागर को लेकर चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के कारण युद्ध जैसे हालात हो गए हैं। हालांकि नए राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने अमेरिका की सत्ता संभालते ही दक्षिण चीन सागर से सटे ताइवान मुद्दे पर चीन को अपनी हरकतों से बाज आने की चेतावनी दी थी लेकिन ड्रैगन पर इसका कोई असर नहीं हुआ और चीन के लड़ाकू विमान दक्षिण चीन सागर में अमेरिकी एयरक्राफट कैरियर को तबाह करने के अभ्यास में जुट गए। चीनी एयरक्राफ्ट अमेरिकी कैरियर और उसके साथ मौजू युद्धपोतो से सिर्फ 250 नॉटिकल मील ही दूर रहा।
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के इस कदम से वह अमेरिका को सीधे युद्ध की चुनौती दे रहा है। जानकारी के अनुसार चीनी जंगी जहाजों ने एक बार फिर अमेरिकी विमानवाहक जहज पर मिसाइल हमले का अभ्यास किया है। खास बात यह है कि चीन ने यह अभ्यास ताइवान के एयरस्पेस में घुसपैठ की खबरों के बीच किया है। एक अमेरिकी सूत्र ने बताया है कि चीनी एयरक्राफ्ट अमेरिकी कैरियर और उसके साथ मौजूद युद्धपोतों से सिर्फ 250 नॉटिकल मील दूर रहा।
विशेषज्ञों के अनुसार अमेरिका में सत्ता परिवर्तन का चीन पूरा लाभ लेना चाहता है। फिलहाल चीन की यह हरकत युद्ध के लिए कम और अमेरिका को सावधान करने के लिए ज्यादा है। चीन ने ऐसा करके यह संदेश दिया है कि वह अमेरिकी युद्धपोतों पर आसानी से हमला कर सकता है और उसकी पहुंच वहां तक है। बता दें कि अमेरिका में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन के सत्ता संभालते ही चीन ताइवान में सक्रिय हो गया है। चीन के युद्धक विमान लगातार ताइवान की सीमा में प्रवेश कर रहे हैं। अमेरिका में बाइडेन के सत्ता ग्रहण करते ही चीन की सक्रियता ताइवान में अचानक से बढ़ गई है। अब सवाल यह उठता है कि बाइडेन के सत्ता ग्रहण करते ही आखिर चीनी सेना ताइवान में क्यों सक्रिय हो गई है।
रविवार को चीन के 15 एयर क्राफ्टों ने ताइवान में सीमा में प्रवेश के बाद अमेरिका ने उससे आक्रमकता न दिखाने की अपील की थी लेकिन चीन पर इस बात का कोई असर नजर नहीं आया है। बता दें कि पेइचिंग ताइवान पर अपना दावा बताता है जिसे लेकर दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण स्थिति कायम हे। वहीं, ताइवान को अमेरिका का समर्थन मिला है और हाल के सालों में दोनों देश चीन के खिलाफ खुलकर साथ आए हैं। ताइवान के क्षेत्र में 23 और 24 जनवरी को चीनी जंगी विमान के घुसने की खबरें आई थीं। पहले जहां 11 विमान चीन ने भेजे थे, वहीं दूसरी बार 15 फाइटर प्लेन भेजे थे।