रिपोर्टः आंकड़ों में हेरफेर कर वायु प्रदूषण के स्तर की गंभीरता को कम दिखा रहा चीन

Edited By Tanuja,Updated: 24 Apr, 2021 05:24 PM

china underreporting severity of air pollution levels says study

चीन में वायु प्रदूषण को लेकर हार्वर्ड और बोस्टन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने बड़ा खुलासा किया है। शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन के अनुसार चीन में वायु प्रदूषण के आंकड़ों में...

बीजिंगः चीन में वायु प्रदूषण को लेकर हार्वर्ड और बोस्टन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं  ने बड़ा खुलासा किया है। शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन के अनुसार  चीन में वायु प्रदूषण के आंकड़ों में स्थानीय अधिकारियों द्वारा हेरफेर किया गया हो सकता है। फॉक्स न्यूज के अनुसार बुधवार को अमेरिकी दूतावासों द्वारा एकत्र की गई रीडिंग के आधार पर प्रकाशित विश्लेषण में पांच चीनी शहरों - बीजिंग, शेनयांग, शंघाई, ग्वांगझू और चेंगदू में चलाए जा रहे निगरानी केंद्रों के आंकड़ों के बीच सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण अंतर पाया गया।

 

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के जेसी टरिएल और बोस्टन विश्वविद्यालय के रॉबर्ट कॉफमैन ने जनवरी 2015 और जून 2017 के बीच चीनी और यू.एस. स्टेशनों द्वारा दर्ज किए गए फेफड़े के कैंसर, अस्थमा और हृदय रोग से जुड़े कण कण पीएम 2.5 की माप की जांच की और उन्होंने उच्च वायु प्रदूषण की अवधि के दौरान होने वाले दो डेटा सेटों के बीच अस्थायी रूप से भिन्नता पाई। उन्होंने बताया कि स्थानीय वायु गुणवत्ता खराब होने पर सरकार द्वारा नियंत्रित स्टेशन प्रदूषण के स्तर को व्यवस्थित रूप से कम  दिखाया जा रहा है। फॉक्स न्यूज के अनुसार अमेरिका के बाद चीन दुनिया का सबसे बड़ा कार्बन उत्पादक है  ऐसे में चीन के प्रदूषण स्तर कम करने के आंकड़े संदेह पैदा करते हैं । रिपोर्ट के अनुसार चीन के नौकरशाह सरकार के दबाव में अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके दुनिया में चीन की साख को बचाने के लिए आंकड़ों में हेर फेर करते हैं  जबकि सच्चाई इसके विपरीत है । 

 

नई रिपोर्ट से  पता चलता है कि कुछ स्थानीय चीनी अधिकारियों ने सरकार की 2012 के बाद के नीतिगत सुधारों के बाद भी देश के कई सबसे बड़े शहरों में PM2.5 सांद्रता के माप को गलत तरीके से पेश किया।शोधकर्ताओं ने कहा  2018 की शुरुआत में हमारे निष्कर्षों के अनुरूप  MEI ने  इन आंकड़ों  के आधार पर डेटा में हेरफेर करने वाले सात  चीनी शहरों के अधिकारियों को पकड़ा था । शोधकर्ताओं ने कहा कि चीन में  प्रदूषण का इतना बुरा हाल था कि हर व्‍यक्ति मास्‍क (Pollution Mask) पहनकर रहता था। स्‍कूल-कॉलेज, सरकारी संस्‍थान बंद कर दिए जाते थे। वायु प्रदूषण का स्‍तर काफी खतरनाक होता था  लेकिन चीन ने इस वायु प्रदूषण के खिलाफ 2013 में जंग छेड़ी और अब चीनी आंकड़ों के अनुसार 7 साल बाद हालात ये हैं कि वहां के शहरों में धुंध और वायु प्रदूषण का स्‍तर काफी हद तक गिर गया है।  अब लोगों को परेशान नहीं होना पड़ता।

 

बता दें कि 2012 तक चीन में वायु प्रदूषण के कारण हालात काफी खराब थे। चीन के 90 फीसदी शहरों की हवा का स्‍तर वहां के निर्धारित मानकों से कई गुना अधिक था।  चीन के 74 बड़े शहरों में से केवल आठ शहरों में वायु प्रदूषण निर्धारित स्तर से कम था। कुछ रिपोर्ट के अनुसार चीन में वायु प्रदूषण से हर साल पांच लाख लोगों की मौत समय से पहले हो जाती थी। वायु प्रदूषण और धुंध की चादर से ढके रहने वाले चीन के शहरों खासकर बीजिंग के कारण चीन की दुनिया भर में आलोचना होने लगी थी।  बीजिंग के लोगों की मास्‍क लगाई हुई तस्‍वीरें वैश्विक मीडिया में प्रकाशित हो रही थीं. ऐसे में चीन ने इस समस्‍या को दूर करने के लिए प्रभावी कदम उठाने का निर्णय लिया। इन प्रभावी कदमों एक आंकड़ों का हेरफेर भी बताया जा रहा है।

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