Edited By Tanuja,Updated: 23 Sep, 2019 12:45 PM
अमेरिका में अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले डिजिटल खतरे कई गुना बढ़ गये हैं और ये कई प्रकार के हो सकते हैं। हो सकता है ...
वाशिंगटनः अमेरिका में अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले डिजिटल खतरे कई गुना बढ़ गये हैं और ये कई प्रकार के हो सकते हैं। हो सकता है कि यह एक उम्मीदवार को शर्मसार करने वाला वीडियो हो, या रैंसमवेयर से कंप्यूटर वोटिंग सिस्टम या बिना पेपर बैकअप वाले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को प्रभावित किया जा सकता है।
अमेरिका में 2020 में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं, चुनाव सुरक्षा के मद्देनजर डिजिटल खतरे बढ़ रहे हैं, जिससे प्रभावित परिणाम आने की आशंका भी है। फेसबुक और सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफॉर्मों पर व्यापक दुष्प्रचार अभियान चलाए जाने के खुलासे के बाद चिंताएं काफी बढ़ गई है, जो बड़े पैमाने पर 2016 में कथित तौर पर रूसी गुप्तचरों के इशारे पर चलाए गए थे।
विशेष वकील रॉबर्ट मुलर ने इसके बारे में विस्तार से बताया, जिनके कार्यालय ने चुनाव में हस्तक्षेप के संबंध में कई सबूत हासिल किए थे। ‘स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी' के ‘साइबर पॉलिसी सेंटर' की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘‘चुनावों के दौरान साइबर हस्तक्षेप और दुष्प्रचार अभियान हर जगह लोकतंत्रों के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती बन गया है।'' वाशिंगटन स्थित ‘सेंटर फॉर डेमोक्रेसी एंड टेक्नोलॉजी' के एक चुनाव सुरक्षा विशेषज्ञ मौरिस टर्नर ने कहा कि ये खतरे 2020 में मतदाताओं के विश्वास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।