Edited By Tanuja,Updated: 02 Jul, 2023 11:36 AM
नीदरलैंड के राजा विलेम-अलेक्जेंडर ने शनिवार को दासता उन्मून की वर्षगांठ पर गुलामों के व्यापार में अपने देश की भूमिका को लेकर एक भाषण में...
एम्स्टर्डम: नीदरलैंड के राजा विलेम-अलेक्जेंडर ने शनिवार को दासता उन्मून की वर्षगांठ पर गुलामों के व्यापार में अपने देश की भूमिका को लेकर एक भाषण में माफी मांग ली। इस दौरान मौजूद लोगों ने जोरदार तालियां बजाकर उनके कदम का स्वागत किया। दास व्यापार में देश की भूमिका को लेकर पिछले साल के अंत में नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रुट ने भी माफी मांगी थी। राजा अलेक्जेंडर ने अपने भावनात्मक भाषण में लोगों से कहा, ‘‘ आज मैं आपके सामने खड़ा हूं और शर्मिंदा हूं। आज आपके राजा के रूप में और सरकार के सदस्य के रूप में, मैं स्वयं माफी मांगता हूं। और मैं इन शब्दों का भार अपने हृदय एवं आत्मा में महसूस कर सकता हूं।''
राजा ने कहा कि उन्होंने दास प्रथा में नीदरलैंड के राजपरिवार की भूमिका पर एक अध्ययन शुरू किया है। उन्होंने कहा, “लेकिन आज स्मरण के इस दिन, मैं मानवता के खिलाफ इस अपराध के संबंध में कार्रवाई करने में स्पष्ट विफलता के लिए माफी मांगता हूं।” एम्स्टर्डम पार्क में देश के राष्ट्रीय दासता स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करने से पहले अपना भाषण पूरा करते समय विलेम-अलेक्जेंडर की आवाज़ भावनाओं से ओत-प्रोत प्रतीत हुई। उल्लेखनीय है कि एक जुलाई, 1863 को सूरीनाम और कैरिबियाई क्षेत्र के डच (नीदरलैंड) उपनिवेशों में दासता को समाप्त कर दिया गया था, लेकिन अधिकतर गुलाम मजदूरों को अगले 10 वर्षों तक पौधारोपण पर काम करना जारी रखने के लिए विवश किया गया था।
शनिवार के कार्यक्रमों और भाषण के साथ दासता उन्मूलन की 150वीं वर्षगांठ मनाने के लिए साल भर होने वाले कार्यक्रमों की शुरुआत हो गई। पिछले महीने प्रकाशित शोध से पता चला है कि राजा के पूर्वजों ने दासों के व्यापार से आधुनिक समय के 54.5 करोड़ यूरो के बराबर कमाई की थी, जिसमें उन प्रतिभूतियों से हुआ मुनाफा भी शामिल था, जो उन्हें उपहार में मिले थे। जब रुट ने दिसंबर में माफी मांगी थी, तो उन्होंने गुलाम लोगों के वंशजों को मुआवजा देने की कोई पेशकश नहीं की थी।
इसके बजाय, सरकार नीदरलैंड और इसके पूर्व उपनिवेशों में गुलामी की विरासत से निपटने और इस मुद्दे के बारे में शिक्षा में सुधार करने की पहल के लिए 20 करोड़ यूरो का कोष स्थापित कर रही है। हालांकि, नीदरलैंड में कुछ लोग सरकार के कदम को पर्याप्त नहीं मानते। दो समूहों-‘ब्लैक मेनिफेस्टो' और ‘द ब्लैक आर्काइव्स' ने शनिवार को राजा के भाषण से पहले ‘क्षतिपूर्ति के बिना कोई मरहम नहीं' बैनर के तहत एक विरोध मार्च का आयोजन किया।