मतदान से पहले पाक में नया राजनीतिक तूफान- इमरान व सेना में सांठ-गांठ !

Edited By Tanuja,Updated: 24 Jul, 2018 01:09 PM

fears mount in pakistan over military influence in elections

पाकिस्तान में आम चुनाव के लिए कल 25 जुलाई को मतदान होगा  लेकिन उससे पहले ही एक नया राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है। नवाज शरीफ की पार्टी (पीएमएल-एन) का आरोप है कि पाकिस्तानी सेना इमरान खान को जिताने में लगी है...

इस्लामाबादः पाकिस्तान में आम चुनाव के लिए कल 25 जुलाई को मतदान होगा  लेकिन उससे पहले ही एक नया राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है। नवाज शरीफ की पार्टी (पीएमएल-एन) का आरोप है कि पाकिस्तानी सेना इमरान खान को जिताने में लगी है। पाकिस्तान की स्थिति को देखते हुए अब राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों के बीच भी यह राय बेहद आम होती जा रही है कि देश की सेना इस चुनाव में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के मुखिया इमरान खान का साथ दे रही है। 
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पाकिस्तानी राजनीतिक के जानकारों का मानना है कि पाकिस्तानी सेना ने देश की बड़ी राजनीति पार्टियों खासतौर पर पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP)को जीतने के लिए बराबर मौके नहीं मिलने दिए हैं। ऐसे में सवाल यह है कि इमरान खान के जीतने से ऐसे कौन से हित पूरे होने हैं जिस वजह से पाकिस्तानी सेना पर उनका साथ देने का आरोप लग रहा है? एक्सपर्ट्स और मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इसका जवाब भारत से पाकिस्तानी सेना की नफरत और नवाज से उसके जनरलों के कड़वे संबंध में छिपे हैं। जेल में बंद नवाज शरीफ लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि उनके और उनकी पार्टी के खिलाफ साजिश की जा रही है।
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दरअसल, यह माना जा रहा है कि मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड की राजनीतिक इकाई मिल्ली मुस्लिम लीग (MML) और फायरब्रैंड मौलवी खादिम हुसैन रिजवी के तहरीक-ए-लब्बैक जैसी कट्टरपंथी पार्टियों को चुनाव लड़वाने के पीछे पाकिस्तानी सेना का हाथ है ताकि पंजाब में पीएमएल-एन के वोट कम किए जा सकें। बता दें कि पंजाब को पाकिस्तान की मुख्य रणभूमि माना जाता है क्योंकि देश की 272 संसद सीटों में से आधी से ज्यादा पंजाब में है। TLP और MML दोनों ने ही पूरे देश में अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। इतना ही नहीं, ऑब्जरवर्स का यह भी मानना है कि पाकिस्तानी सेना ने पंजाब में पीएमएल-एन के सदस्यों पर पार्टी बदलने का भी दबाव बनाया है। पीएमएल-एन छोड़ने वाले 180 से ज्यादा उम्मीदवार इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं ताकि पीएमएल-एन उम्मीदवारों को हरा सकें। ऐनालिस्ट आमिर जलील बोबरा कहते हैं, 'हाल के सालों में, सेना ने मीडिया सहित हर क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाया  

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