बांग्लादेश में रोहिंग्याओं के लिये धन मुहैया कराना एक अहम चुनौती : रिपोर्ट

Edited By Tanuja,Updated: 26 Aug, 2019 05:28 PM

funding a major challenge for rohingyas in bangladesh report

बांग्लादेश में शिविरों में रह रहे नौ लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों को एक और साल अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है...

 

ढाकाः बांग्लादेश में शिविरों में रह रहे नौ लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों को एक और साल अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उनके लिये वित्तपोषण अब भी एक अहम चुनौती बना हुआ है। मीडिया में सोमवार को आई खबरों में यह जानकारी दी गई। ‘ढाका ट्रिब्यून' की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2019 के नौ महीने बीत चुके हैं और जरूरी 92 करोड़ अमेरिकी डॉलर की सिर्फ 35 फीसद रकम ही उपलब्ध हुई है।

 

स्वास्थ्य, सुरक्षा, पोषण और स्थल प्रबंधन के लिये रकम की पूर्ण उपलब्धता नहीं होने से रोहिंग्याओं के जीवन पर खतरे मंडरा रहे हैं। म्यामां के रखाइन प्रांत में 2017 में सेना की ज्यादती की वजह से नौ लाख से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी बन कर बांग्लादेश पहुंचे। वे बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में बनाए गए शिविरों में रह रहे हैं। म्यामां पर अंतरराष्ट्रीय दबाव है कि वह इन रोहिंग्याओं को रखाइन प्रांत लौटने दे और उन्हें नागरिकता का अधिकार दे। जिनेवा में 15 फरवरी को 2019 के लिये एक संयुक्त प्रतिक्रिया योजना (जेआरपी) शुरू की गई थी, जिसमें जनवरी से दिसंबर 2019 के बीच खर्चों के लिये 92.05 करोड़ डॉलर की जरूरत बताई गई थी।

 

रिपोर्ट में कहा गया कि 2018 के जेआरपी के तहत मांगे गई 95 करोड़ डॉलर की रकम का करीब 69 फीसद ही मिला था जबकि 2017 के जेआरपी के तहत मांगी गई 43.3 करोड़ डॉलर की रकम का करीब 64 फीसद ही उपलब्ध हो सका था। रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (ओसीएचए) की वित्तीय निगरानी प्रणाली ने कहा कि मांगी गई 92.05 करोड़ डॉलर की रकम में से अब तक सिर्फ 33 करोड़ डॉलर ही उपलब्ध हो सके जो 36 फीसद से भी कम है।

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