पाकिस्तान में गणेशोत्सव की धूम, गूंज रहे बप्पा मोरया के जयकारे

Edited By Tanuja,Updated: 19 Sep, 2018 12:51 PM

ganpati utsav celebration in pakistan

इन दिनों भारत में गणेश चतुर्थी पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है लेकिन अब गणपति बप्पा मोरया के जयकारों की गूंज पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी सुनाई दे रही है। कराची के क्लिफ़टन इलाक़े में एक छोटा-सा अपार्टमैंट है,

इस्लामाबादः इन दिनों भारत में गणेश चतुर्थी पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है लेकिन अब गणपति बप्पा मोरया के जयकारों की गूंज पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी सुनाई दे रही है। कराची के क्लिफ़टन इलाक़े में एक छोटा-सा अपार्टमैंट है, जहां इन दिनों जश्न का माहौल है। अपार्टमेंट देव आनंद संदिकर नाम के व्यक्ति का है, जो पाकिस्तान की 'महाराष्ट्र पंचायत' के मुखिया हैं।यह  पाकिस्तान में रह रहे मराठियों का समुदाय है, जिनकी संख्या बहुत कम है।
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अपार्टमैंट में गणेश उत्सव को लेकर  रंग-बिरंगी साड़ियों और सोने के गहने पहने महिलाएं गणपति जी की प्रिय मिठाई मोदक बना रही हैं।  देव आनंद की पत्नी मलका कहती हैं, "भगवान गणेश के भोग के लिए हम लोगों ने कई पकवान बनाए हैं, पर मोदक उनका सबसे प्रिय है।" "इसे पारंपरिक तौर पर चावल के आटे, नारियल, गुड़ और सूजी से तैयार किया जाता हैलेकिन आज इसमें कई प्रयोग किए जा रहे हैं। जैसे चॉकलेट मोदक, वनीला फ़्लेवर मोदक आदि..."
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मलका ने घर को बेहद ख़ूबसूरती से सजाया है. एक ख़ास खूशबू से लोगों का स्वागत किया जा रहा है। त्योहार के पहले देव आनंद थोड़े परेशान थे।कुछ साल पहले तक वो भगवान गणेश की मूर्ति दुबई के रास्ते भारत से मंगवाते थे। वो कहते हैं, "मूर्ति हम लोगों के लिए बेहद ज़रूरी है। यह त्यौहार भगवान गणेश को समर्पित है, इसलिए हम चाहते हैं उनकी सबसे खूबसूरत मूर्ति मंगवाई जाए।" इस साल समय पर मूर्ति भारत से पाकिस्तान न पहुंचने पर देव आनंद ने  दुबई में रहने वाले भाई को अपनी परेशानी बताई जो गणेश की मूर्ति लेकर खुद दुबई से पाकिस्तान पहुंचा।
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मूर्ति के पहुंचने के बाद विधि-विधान से पूजा की शुरुआत हुई. भगवान गणेश पर मोदक और मोतीचूर के लड्डू चढ़ाए गए। इसके बाद समुदाय के लोग मूर्ति लेकर नाचते-गाते कराची के रत्नेश्वर महादेव मंदिर पहुंचे। वहां मूर्ति की विधिवत स्थापना हुई। रत्नेश्वर महादेव मंदिर क्लिफ़टन इलाक़े में समुद्र के किनारे स्थित है।मान्यता है कि यह मंदिर सैंकड़ों साल पुराना है। गणेश चतुर्थी के दौरान मुख्य कार्यक्रम का आयोजन  देव आनंद कहते हैं, "हम लोग यहां करीब 500 की संख्या में जुटते हैं। मराठाओं के अलावा दूसरे हिंदू समुदाय के लोग भी जश्न में शामिल होते हैं।कोई भी इसमें शामिल हो सकता है, किसी तरह की रोक-टोक नहीं होती है।"
 

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