Edited By Ashish panwar,Updated: 24 Jan, 2020 11:05 PM
शोधकर्ताओं को एक बड़ी सफलता मिलती हुई दिख रही है। पहली बार उस तंत्र की पहचान की है, जिसमें तनाव के कारण बालों का रंग सफेद होने लगता है। इससे ऐसी नई दवाओं के विकास की उम्मीद जग सकती है, जिनसे बालों को सफेद होने से रोका जा सकता है। नेचर पत्रिका में...
इंटरनेशनल डेस्कः शोधकर्ताओं को एक बड़ी सफलता मिलती हुई दिख रही है। पहली बार उस तंत्र की पहचान की है, जिसमें तनाव के कारण बालों का रंग सफेद होने लगता है। इससे ऐसी नई दवाओं के विकास की उम्मीद जग सकती है, जिनसे बालों को सफेद होने से रोका जा सकता है। नेचर पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, यह निष्कर्ष काले चूहे पर किए गए शोध के आधार पर निकाला गया है। चूहे पर कई हफ्ते तक रेसिनिफेराटॉक्सिन नामक रासायनिक पदार्थ को आजमाया गया। इसके चलते चूहे के बाल पूरी तरह सफेद हो गए। शोधकर्ताओं ने पाया कि संवेदी तंत्रिका तंत्र बाधित होने पर बाल सफेद होने लगते हैं। यह तंत्रिका तंत्र घातक स्थितियों से निपटने में शरीर की अनैच्छिक प्रतिक्रिया को प्रेरित करता है। तनाव से यह तंत्र सीधे प्रभावित होता है।
अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता थिएगो मैटर ने कहा, 'लंबे समय से यह कहा जा रहा है कि तनाव से बाल सफेद हो जाते हैं, लेकिन अभी तक इस धारणा का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं था।' दांतों में कैविटी और सड़न की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए अच्छी खबर है। शोधकर्ताओं ने एक ऐसा बायोएक्टिव पेप्टाइड जेल विकसित किया है, जिसे लगाने से ना सिर्फ दांतों को सड़न और कैविटी से बचाने में मदद मिल सकती है बल्कि उन्हें ठीक भी किया जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया में दांतों की सड़न और कैविटी की समस्या सबसे आम गैर-संचारी बीमारी है। शोधकर्ताओं के अनुसार, पारंपरिक उपचार में खराब टिश्यू को निकालने के बाद कैविटी को भर दिया जाता है। इस प्रक्रिया में स्वस्थ टिश्यू को नुकसान भी पहुंच सकता है और तकलीफ भी हो सकती है। इसी को ध्यान में रखकर हांगकांग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह जेल तैयार किया है। उनका यह एंटी-कैविटी कोटिंग जेल प्राकृतिक रोगाणु रोधी एच5 नामक पेप्टाइड पर आधारित है।