शोधकर्ताओं को मिली बड़ी सफलता-पानी से हानिकारक रंग सोखने वाला नया स्पंज तैयार

Edited By Tanuja,Updated: 16 Aug, 2018 12:43 PM

harmful dyes in lakes rivers can become colorless with new sponge

उद्योगों से निकलने वाले रसायनों और रंगों के कारण प्राकृतिक स्रोतों का अधिकतर जल प्रदूषित होता जा रहा है।  बढ़ते औद्योगिकीकरण के कारण विश्व में स्वच्छ जल का संकट खड़ा हो गया।

वाशिंगटनः उद्योगों से निकलने वाले रसायनों और रंगों के कारण प्राकृतिक स्रोतों का अधिकतर जल प्रदूषित होता जा रहा है।  बढ़ते औद्योगिकीकरण के कारण विश्व में स्वच्छ जल का संकट खड़ा हो गया। ऐसे में वैज्ञानिकों ने ऐसे स्पंज का निर्माण किया है कि जो चंद सेकंड में रंगीन पानी से हानिकारक रंग को सोख कर उसे साफ कर देगा। इसे लकड़ी की लुगदी और धातु के टुकड़ों से तैयार किया गया है।

वैश्विक स्तर पर वस्त्र, खिलौने, कॉस्मैटिक आदि उद्योगों के लिए हर साल करीब 70 करोड़ किलोग्राम रंगों का प्रयोग किया हो रहा है। निर्माण के दौरान करीब रंगों का दसवां हिस्सा व्यर्थ बह जाता है। ये रंग ऐसे हैं, जिन्हें जल शुद्धीकरण की विधियों से भी दूर नहीं किया जा सकता है। ऐसे में पानी के साथ घुलकर ये रंग वातारण का हिस्सा बन जाते हैं और नदी, तालाबों, झीलों में पहुंचकर जल स्रोतों को दूषित कर रहे हैं। जल में रंग की थोड़ी सी मात्रा सूर्य के प्रकाश को रोकती है, इससे पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया और जलतंत्र प्रभावित हो रहे हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन के असिस्टेंट प्रोफेसर एंथनी डिकायरा का कहना है कि रंगों की थोड़ी सी मात्रा बड़ी मात्रा में जल को दूषित कर सकती है  इसलिए ऐसी युक्ति की आवश्यकता थी, जो आसानी से जल में से रंगों को दूर कर सके। इसी को ध्यान में रखते हुए इस स्पंज को तैयार किया गया है। शोधकर्ताओं ने पौधों में पाए जाने वाले सेल्युलोज और पैलेडियम धातु को मिश्रित किया। इसके बाद विलयन को गर्म करने के बाद ब्लेंडर की सहायता से इसे मिलाया। फिर शुद्धीकरण और धातु को सुखाने के बाद यह महीन छेद वाली स्पंज की आकृति में परिवर्तित हो गई। यह स्पंज 99 प्रतिशत वायु से भरी है और जल को आसानी से आर- पार जाने देती है। इसमें से धातु के कण जल में से रंग निकालने का कार्य करते हैं।

शोधकर्ता ने इस स्पंज को लैब में लाल और नीले रंग के पानी को साफ करने में प्रयोग किया। यहीं रंग वस्त्र उद्योग में आमतौर पर प्रयोग किए जाते हैं। इस प्रयोग में शोधकर्ताओं को सफलता मिली। इसके बाद एक जार में रंगीन पानी को लेकर स्पंज का प्रयोग किया। इससे भी साफ पानी प्राप्त हुआ। एंथनी डिकायरा का कहना है कि जब जल में रंगों की मात्रा कम हो तभी इस तरीके का प्रयोग करने पानी को आसानी से शुद्ध किया जा सकता है। 


 

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