Edited By Tanuja,Updated: 28 Apr, 2024 11:38 AM
ईरान में सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खुमैनी के करीबी प्रभावशाली मौलवी अलीरजा पनाहियान द्वारा पैगंबर मुहम्मद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने को..
तेहरान: ईरान में सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खुमैनी के करीबी प्रभावशाली मौलवी अलीरजा पनाहियान द्वारा पैगंबर मुहम्मद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने को लेकर बवाल मच गया है। आरोप हैं कि खुमैनी के करीबी होने की वजह से 59 साल के पनाहियान के खिलाफ कार्रवाई से परहेज किया जा रहा है। ईरान में पैगंबर मुहम्मद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने पर पांच साल तक की जेल हो सकती है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राज्य टीवी पर एक राजनीतिक टिप्पणी के दौरान पनाहियन ने कहा था कि पैगंबर ने न तो अपने लिए और न ही इमाम अली के लिए कोई दोस्त रखा था।
उनकी इस टिप्पणी से ऐसा लगता है कि पैगंबर मुहम्मद एक अप्रिय शख्स थे। पनाहियान की टिप्पणी पर काफी आक्रोश दिखा और उनकी निंदा की गई। उपदेशक हुसैन अंसारियन ने पनाहियान की निंदा करते हुए कहा कि क्या पैगंबर अप्रिय थे? क्या पैगंबर के लिए ऐसा कहने से ज्यादा अपमानजनक कुछ और हो सकता है। लोगों का मानना है कि सरकार से करीबी के चलते मौलवी पनाहियन को दंडित नहीं किया गया। इस महीने की शुरुआत में मौलवी पनाहियान पर ऐसा ही आरोप लगा लेकिन उन पर कार्रवाई के नाम पर चुप्पी है। इसे ईरानी सरकार के दोहरे मानदंडके तौर पर देखा जा रहा है ।
सरकारी टीवी पर मंसूर अर्जी के पनाहियन की कठोर आलोचना के बाद प्रसारण बंद कर दिया गया था। हंगामे के बाद पनाहियान ने अपनी टिप्पणी का बचाव करते हुए कहा कि वह उनके बोल नहीं थे बल्कि पैगंबर के बारे में ईर्ष्यालु लोगों ने जो कहा था उसका जिक्र कर रहे थे। पनाहियान ने माफी भी जारी की है। माफी के बावजूद लोगों में एक गुस्सा है। लोगों का कहना है कि ये दोहरा मानदंड है। अगर कोई सुधारवादी पैगंबर मुहम्मद का अपमान करता तो उसे तुरंत जेल भेज दिया जाता। वहीं दूसरी ओर आपत्तिजनक टिप्पणियों के बावजूद पनाहियान राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी के साथ बैठक कर रहे हैं।
बता दें कि 2009 में उन्होंने राष्ट्रपति चुनावों के बाद ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के करीबी एक राजनीतिक-धार्मिक संगठन अम्मार बेस थिंक टैंक की सह-स्थापना की। पनाहियान अपने विवादित बयानों के लिए भी जाने जाते हैं। 2013 में उन्होंने 2009 के प्रदर्शनकारियों को इस्लामिक स्टेट आतंकवादी समूह का समर्थक कहते हुए फांसी की सजा देने की मांग की थी।