अब मालदीव को लेकर भारत-चीन में जद्दोजहद

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Feb, 2018 05:59 PM

maldives becomes latest flashpoint in india china rivalry

बेहतरीन समुद्री नजारों के लिए दुनिया भर में विख्यात मालदीव देश सत्ता को लेकर संघर्ष के दौर से गुजर रहा है। इस बीच  मालदीव में शक्ति संतुलन को लेकर भारत और चीन के बीच  भी जद्दोजहद देखने को मिल रही है।

मालेः  बेहतरीन समुद्री नजारों के लिए दुनिया भर में विख्यात मालदीव देश सत्ता को लेकर संघर्ष के दौर से गुजर रहा है। इस बीच  मालदीव में शक्ति संतुलन को लेकर भारत और चीन के बीच  भी जद्दोजहद देखने को मिल रही है। पिछले साल डोकलाम को लेकर तनाव के बाद यह दूसरा मौका है जब चीन और भारत आमने-सामने हैं। सुप्रीम कोर्ट की ओर से राजनीतिक कैदियों और विपक्षी नेताओं को जेल से रिहा किए जाने के आदेश के बाद सोमवार को राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने देश में आपातकाल घोषित कर दिया था। इसके बाद सुरक्षा बलों ने अदालत पर कब्जा जमा लिया और चीफ जस्टिस समेत दो सीनियर जजों को अरेस्ट कर लिया गया। इसके अलावा पूर्व राष्ट्रपति गयूम को भी अरेस्ट कर लिया गया।

इसके बाद बुधवार को सरकार के दबाव में बाकी जजों ने पिछले आदेश को वापस लेने का फैसला सुनाया। यह सब घटनाक्रम यूं तो मालदीव में हो रहा था, लेकिन इससे भारत में भी चिंता देखी गई। शीर्ष अदालत के आदेश को लेकर भारत ने कहा था कि सरकार को उसके आदेश को मानना चाहिए। इस बीच पिछले साल ही मालदीव के साथ फ्री ट्रेड अग्रीमेंट साइन करने वाले चीन ने कहा कि वहां के 4,00,000 लोगों में पूरे विवाद से निपटने की क्षमता है और किसी को उसमें दखल नहीं देना चाहिए। 

एशिया में चीन को अपना प्रमुख भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी मानने वाला भारत पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अमरीका और जापान के सहयोग से क्षेत्रीय स्तर पर अपना वर्चस्व साबित करना चाहता है। हालांकि इस बीच चीन ने भी दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में अपना वर्चस्व बढ़ाने के प्रयास किए हैं। श्री लंका और पाकिस्तान में बंदरगाह बनाने से लेकर अफ्रीकी देश जिबूती में मिलिट्री बेस बनाने जैसे कदम उठाए हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में रिसर्च फेस कॉन्सटैनटिनो जैवियर ने कहा, 'हिंद महासागर क्षेत्र में भारत अपनी स्थिति मजबूती से दर्ज कराना चाहता है। ऐसे में मालदीव उसके लिए बेहद महत्वपूर्ण है।' इसकी वजह यह है कि मालदीव के मौजूदा राष्ट्रपति यामीन ने चीन से अपनी नजदीकी बढ़ाई है।

पश्चिम के दबाव को कम करने और भारत पर अपनी निर्भरता को खत्म करने के लिए उन्होंने ऐसा कदम उठाया है। बीते कुछ सालों से मालदीव राजनीतिक तौर पर अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। 2013 के चुनावों में सत्ता में आने वाले यामीन ने चीन और सऊदी इन्वेस्टमेंट को बड़े पैमाने पर आमंत्रित किया है। इसके अलावा राजनीतिक विरोधियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को जेल में डालने को लेकर भी वह आलोचना का शिकार हुए हैं। यामीन की ओर से कोर्ट के आदेश को खारिज कराए जाने से पहले निर्वासित पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने भारत से दखल दिए जाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि भारत को अपने सैनिकों को भेजकर हालात को संभालने का प्रयास करना चाहिए। अमरीका ने भी मालदीव में इमर्जेंसी लगाए जाने की आलोचना की है।

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