Edited By Tanuja,Updated: 09 Jul, 2018 05:50 PM
भारत की जगह उत्तर कोरिया को तरजीह देकर अमरीका के हाथ कुछ खास नहीं लगा। अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ उत्तर कोरिया के साथ 2 दिनों तक बातचीत के बाद बैरंग वॉशिंगटन लौट आए। उत्तर कोरिया ने बातचीत का बिना किसी ठोस निष्कर्ष निकाले अमरीका को ठेंगा दिखा...
वॉशिंगटनः भारत की जगह उत्तर कोरिया को तरजीह देकर अमरीका के हाथ कुछ खास नहीं लगा। अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ उत्तर कोरिया के साथ 2 दिनों तक बातचीत के बाद बैरंग वॉशिंगटन लौट आए। उत्तर कोरिया ने बातचीत का बिना किसी ठोस निष्कर्ष निकाले अमरीका को ठेंगा दिखा दिया है। हालांकि उत्तर कोरिया के साथ वार्ता ही वह बड़ी वजह थी, जिस कारण ट्रंप प्रशासन ने 6 जुलाई को भारत के साथ होने वाले उच्च स्तरीय 2+2 संवाद को टालने की घोषणा कर दी थी। दूसरी तरफ, उत्तर कोरिया के विदेश मंत्रालय ने पॉम्पिओ के साथ हुई उच्च स्तरीय वार्ता को ''खेदजनक'' बताया है। नॉर्थ कोरिया ने कहा कि अमरीका परमाणु हथियार खत्म करने के लिए उसपर एकतरफा दबाव बनाया गया है।
माइक पॉम्पिओ ने प्योंगयांग से वापसी के समय अपनी यात्रा को लेकर कहा कि दोनों देशों के बीच लगभग सभी मुद्दों पर प्रगति आई है और यह अच्छी वार्ता थी। दूसरी तरफ, उत्तर कोरिया के विदेश मंत्रालय ने पॉम्पिओ के साथ हुई उच्च स्तरीय वार्ता को 'खेदजनक' बताया है।नॉर्थ कोरिया ने कहा कि अमरीका परमाणु हथियार खत्म करने के लिए उसपर एकतरफा दबाव डाल रहा है। माइक पॉम्पियो की नॉर्थ कोरिया की 2 दिवसीय यात्रा खत्म होने और वहां के अधिकारियों से बातचीत के कुछ देर बाद ही इस तरह का बयान सामने आया। हालांकि, उत्तर कोरिया के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उनके नेता किम जोंग-उन अभी भी अमरीका के साथ वही दोस्ताना संबंध और भरोसा चाहते हैं, जिसपर 12 जून को सिंगापुर में डॉनल्ड ट्रंप के साथ सहमति बनी थी।