Edited By Rohini Oberoi,Updated: 08 Aug, 2025 04:24 PM

यह कहानी किसी चमत्कार से कम नहीं लगती। 80 साल पहले अमेरिका के कोलोराडो में एक किसान ने एक मुर्गे का सिर काट दिया लेकिन वह मरा नहीं बल्कि बिना सिर के वह पूरे 18 महीने तक जिंदा रहा। इस मुर्गे को 'माइक द हेडलेस चिकन' के नाम से जाना जाता है। आइए जानते...
इंटरनेशनल डेस्क। यह कहानी किसी चमत्कार से कम नहीं लगती। 80 साल पहले अमेरिका के कोलोराडो में एक किसान ने एक मुर्गे का सिर काट दिया लेकिन वह मरा नहीं बल्कि बिना सिर के वह पूरे 18 महीने तक जिंदा रहा। इस मुर्गे को 'माइक द हेडलेस चिकन' के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं क्या है इस अनोखी घटना के पीछे का विज्ञान।
कैसे हुई घटना?
10 सितंबर 1945 को किसान लॉयड ऑलसेन अपने फार्म पर मुर्गियां काट रहे थे। इसी दौरान उन्होंने एक मुर्गे का सिर काट दिया लेकिन वह मुर्गा मरा नहीं बल्कि भागने लगा। लॉयड अगली सुबह जब जागे तो हैरान रह गए क्योंकि मुर्गा अब भी जिंदा था।
लॉयड ने इस मुर्गे को एक डिब्बे में रखा और उसका नाम 'माइक' रख दिया। जल्द ही पूरे इलाके में इस बिना सिर वाले मुर्गे की कहानी फैल गई। इसके बाद एक साइडशो प्रमोटर होप वेड ने लॉयड से संपर्क किया और माइक को सर्कस में दिखाने का प्रस्ताव दिया। लॉयड और उनकी पत्नी क्लारा ने माइक को लेकर अमेरिका का दौरा किया और इससे खूब पैसे कमाए।
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ऐसे जिंदा रहा माइक
➤ भोजन और देखभाल: लॉयड माइक को ड्रॉपर की मदद से तरल भोजन और पानी सीधे उसकी ग्रासनली में देते थे। इसके अलावा वह सिरिंज से उसके गले से बलगम भी साफ करते थे।
➤ मौत: 18 महीने बाद एक रात माइक का दम घुट गया क्योंकि लॉयड अपनी सिरिंज भूल गए थे।
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क्या कहता है विज्ञान?
वैज्ञानिकों के लिए भी यह एक रहस्य था। न्यूकैसल विश्वविद्यालय के मुर्गी विशेषज्ञ डॉ. टॉम स्मल्डर्स के अनुसार पक्षियों का अधिकांश मस्तिष्क सिर के आगे नहीं बल्कि रीढ़ की हड्डी के पास होता है।

➤ माइक का मस्तिष्क: जब कुल्हाड़ी से वार किया गया तो माइक की चोंच, आँखें और चेहरा कट गया लेकिन उसके मस्तिष्क का लगभग 80% हिस्सा बच गया। यही हिस्सा उसके हृदय गति, सांस लेने, भूख और पाचन तंत्र को नियंत्रित करता था।
➤ रीढ़ की हड्डी का कमाल: स्मल्डर्स बताते हैं कि मुर्गे के सिर काटने से भले ही मस्तिष्क का ऊपरी हिस्सा अलग हो गया हो लेकिन रीढ़ की हड्डी के सर्किट में बची हुई ऑक्सीजन की वजह से शरीर कुछ समय तक खुद ही काम करता रहा।
यह घटना आज भी विज्ञान और कुदरत की अनूठी मिसाल है जो हमें हैरान करती है।