नेपाल के आम चुनाव से पहले काठमांडू पहुंचे चीन के विशेष दूत

Edited By Anil dev,Updated: 11 Jul, 2022 02:39 PM

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नेपाल में आम चुनाव की घोषणा से ठीक पहले वामपंथी दलों को एक जगह लाने की कवायद चीन की तरफ से शुरू हो गई है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के विशेष दूत चार दिनों के नेपाल दौरे पर रविवार को काठमांडू पहुंचे हैं।

इंटरनेशनल डेस्क: नेपाल में आम चुनाव की घोषणा से ठीक पहले वामपंथी दलों को एक जगह लाने की कवायद चीन की तरफ से शुरू हो गई है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के विशेष दूत चार दिनों के नेपाल दौरे पर रविवार को काठमांडू पहुंचे हैं। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के विदेश विभाग प्रमुख लियू जियानचाओ एक उच्च स्तरीय 6 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ काठमांडू आए हैं। लियू जियानचाओ के नेपाल दौरे की शुरुआत प्रधानमंत्री शेरबहादुर देउवा से मुलाकात के साथ शुरू हो रही है। चार दिन बाद बीजिंग लौटने से पहले वो नेपाल के राष्ट्रपति से भी शिष्टाचार भेंट करने वाले हैं, लेकिन बाकी के समय शी के दूत का समय अपनी डफली अपना राग अपनाने वाले कम्युनिस्ट दलों को फिर से एक करने में ही व्यस्त रहने वाले हैं।


सोमवार को लियू की मुलाकात सत्ता गठबंधन में रहे माओवादी पार्टी के अध्यक्ष प्रचण्ड से होगी। उसी दिन उनकी मुलाकात दो और सत्तारूढ़ दलों के प्रमुख नेता माधव कुमार नेपाल और उपेंद्र यादव से भी होने वाली है। मंगलवार को शी जिनपिंग के विशेष दूत प्रमुख प्रतिपक्षी दल के नेता तथा पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से मिलने उनके निवास पर जाएंगे। इन सभी मुलाकातों का मकसद नेपाल में नवंबर में होने वाले आम चुनाव से पहले कम्युनिस्ट ताकतों को एक करना है। नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टियों के अलग-अलग होने के कारण यहां अमरीका प्रभाव इतना अधिक बढ़ गया है कि वो अपने पक्ष में विवादास्पद मिलेनियम चैलेंज कम्पैक्ट को नेपाल की संसद से दो तिहाई से पारित करवा रहे हैं और चीन के द्वारा प्रस्तावित बेल्ट एंड रोड बीआरआई को सीधे तौर पर नकार दिया है।

हालांकि, नेपाल में चीन समर्थित चार अलग-अलग कम्युनिस्ट दलों के समर्थन से ही नेपाली कांग्रेस की सरकार टिकी है, फिर भी चीन के खिलाफ अमरीकी सेना को नेपाल में आने देने के लिए सरकार एक और समझौता करने जा रही है, जिसके बाद नेपाल चीन सीमा पर अब अमरीकी सेना के साथ ना सिर्फ युद्ध अभ्यास होगा, बल्कि चीन के सीमा के काफी करीब अमरीका अपना सैन्य और एयरबेस भी बना सकता है। नेपाल सरकार की इसी तैयारी से बौखलाए चीन चाहता है कि नेपाल का वर्तमान सत्तारूढ़ गठबंधन टूट जाए और प्रमुख कम्युनिस्ट पार्टी के बीच एकता हो जाए। चीन का प्रयास यही है कि नवंबर में होने वाले आम चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी के नेता एक ही दल के रूप में चुनाव लड़े या अगर यह संभव नहीं हो तो कम-से-कम एक वृहत वाम मोर्चा बना कर चुनाव में जाए।

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