इस्लामाबाद हाईकोर्ट के 6 जजों का आरोप- न्यायिक काम में हस्तक्षेप कर रही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी

Edited By Tanuja,Updated: 28 Mar, 2024 05:53 PM

pak hc judges allege intelligence agencies  interference in judicial matters

पाकिस्तान में इस्लामाबाद हाई कोर्ट के 6 जजों ने देश की  खुफिया एजेंसियों पर न्यायपालिका के कामकाज में  हस्तक्षेप का आरोप लगाया है। इसके

इस्लामाबादः पाकिस्तान में इस्लामाबाद हाई कोर्ट के 6 जजों ने देश की  खुफिया एजेंसियों पर न्यायपालिका के कामकाज में  हस्तक्षेप का आरोप लगाया है। इसके खिलाफ जजों ने पत्र लिखकर सर्वोच्च न्यायिक परिषद से हस्तक्षेप की मांग की है।  25 मार्च को लिखे गए पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले छह जजों में जस्टिस मोहसिन अख्तर कयानी, जस्टिस तारिक महमूद जहांगीरी, जस्टिस बाबर सत्तार, जस्टिस सरदार इजाज इशाक खान, जस्टिस अरबाब मुहम्मद ताहिर और जस्टिस समन रफत इम्तियाज शामिल हैं।  सर्वोच्च न्यायिक परिषद को लिखे पत्र में सम्मेलन के माध्यम से न्यायपालिका की आजादी तय करने के लिए रुख अपनाने की भी वकालत की गई है। बता दें कि  सर्वोच्च न्यायिक परिषद हाई कोर्ट्स और सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए ऑथराइज्ड सबसे बड़ी बॉडी है। 

 
 
 पत्र में कहा गया है कि  वे  जज के कर्तव्य के संबंध में  सर्वोच्च न्यायिक परिषद से मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए लिख रहे हैं, जिसमें कार्यपालिका के सदस्यों (जिनमें खुफिया एजेंसियों के संचालक भी शामिल हैं) के कार्यों की रिपोर्ट करना और उनका जवाब देना है, जो कामों में हस्तक्षेप करना चाहते हैं। यह पत्र न्यायिक मामलों में कार्यपालिका और एजेंसियों के हस्तक्षेप को उजागर करता है, जिसमें एक केस के संबंध में जज पर दबाव बनाने के लिए हाई कोर्ट के जज के बहनोई का अपहरण और यातना भी शामिल है। जजों द्वारा लिखा गया यह पत्र ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि यह आधिकारिक तौर पर न्यायपालिका के मामलों में कार्यकारी और खुफिया एजेंसियों के कथित तौर शामिल होने की बात उजागर करता है। इसके अलावा जजों के खिलाफ कार्रवाई करने और ऐसे मामलों पर गाइडेंस लेने लिए SJC का समर्थन मांगता है। जजों ने कहा कि वे यह भी देख रहे हैं कि SJC द्वारा जजों के लिए निर्धारित आचार संहिता इस बात पर कोई मार्गदर्शन नहीं देती है कि जजों को उन घटनाओं पर कैसी प्रतिक्रिया देनी चाहिए या रिपोर्ट करनी चाहिए, जो धमकी जैसे हैं और न्यायिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करते हैं।  

 

पत्र में जजों ने कहा कि उनका मानना है, 'इस मामले की जांच करना और यह निर्धारित करना जरूरी है कि क्या राज्य की एक्जिक्यूटिव ब्रांच की तरफ से कोई पॉलिसी है, जिसे एक्जिक्यूटिव ब्रांच को रिपोर्ट करने वाले इंटेलिजेंस अधिकारियों द्वारा जजों को डराने-धमकाने के लिए लगाया जाता है। बता दें कि पाकिस्तान में जजों के द्वारा यह अपील सुप्रीम कोर्ट के द्वारा पूर्व आईएचसी जज शौकत अजीज सिद्दीकी को हटाने को अवैध घोषित करने के कुछ दिनों बाद आया है। आदेश में कहा गया है कि अब शौकत अजीज सिद्दीकी को रिटायर्ड जज माना जा सकता है। शौकत अजीज सिद्दीकी को 11 अक्टूबर, 2018 को एसजेसी द्वारा रावलपिंडी बार एसोसिएशन में उनके द्वारा दिए गए एक भाषण के आधार पर बर्खास्त कर दिया गया था। यहां दी गई स्पीच में उन्होंने ISI पर आरोप लगाया था कि एजेंसी अदालती कार्यवाही को प्रभावित करने और अपने पसंद की बेंच बनाने की कोशिश कर रही है।

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