Edited By Tanuja,Updated: 12 Apr, 2018 01:29 PM
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में बड़े पैमाने पर पश्तून आंदोलन चल रहा है जिसमें आदिवासी युवाओं की बड़ी भागीदारी देखने को मिली। पाकिस्तान में पश्तूनों (पठानों) के आंदोलन से यह साबित होता है कि युवा पाकिस्तानी बदलाव चाहते हैं।
पेशावरः पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में बड़े पैमाने पर पश्तून आंदोलन चल रहा है जिसमें आदिवासी युवाओं की बड़ी भागीदारी देखने को मिली। पाकिस्तान में पश्तूनों (पठानों) के आंदोलन से यह साबित होता है कि युवा पाकिस्तानी बदलाव चाहते हैं। समा टीवी के वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख में कहा गया, 'पाकिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में आमतौर पर राजनीतिक रैलियों को आयोजित करने के लिए मुख्यधारा के राजनीतिक दल खानों (जमींदारों) और ठेकेदारों पर निर्भर होते हैं, ताकि लोगों को उनके गांवों से भीड़ जुटाने के लिए लाया जा सके और उनके आने-जाने का भुगतान किया जा सके।
PTM (पश्तून ताहुफुज आंदोलन) ने बिना किसी किसी जमींदार और ठेकेदार पर निर्भर हुए एक सफल रैली का आयोजन किया। इन्होंने पश्तून प्रवासियों के लिए युवाओं और पेशेवर वर्ग के बीच फंड इकट्ठा करने के लिए अभियान चलाया।' PTM ने मोहभंग हो चुके पश्तून युवाओं को आकर्षित किया जिसमें बड़ी संख्या में युवा महिलाएं भी शामिल हैं। ये युवा देश और विदेश में आवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) और पश्तूनख्वा मिली अवामी पार्टी (पीकेएमएपी) से जुड़े हुए हैं।
लेख के अनुसार, 'पाकिस्तान में शुरुआत में PTM के नेताओं ने मुख्यधारा की मीडिया द्वारा उनके विरोध प्रदर्शन और रैलियों को कवर न करने के लिए शिकायत दर्ज कराई थी। पीटीएम का गठन सोशल मीडिया अभियान का नतीजा है। कराची में नकीबुल्लाह महसूद के फर्जी एनकाउंटर के बाद इंसाफ की मांग को लेकर यह अभियान चलाया गया।' लेख के मुताबिक, 'इसके महत्व को समझने के बाद पीटीएम के आयोजकों ने सोशल मीडिया, विशेषकर- फेसबुक और ट्विटर पर यह अभियान चलाया। जिसने इन्हें पेशावर रैली के लिए प्रचार और लोगों को इकट्ठा करने में मदद की।'