सावधान! फेफड़ों को बूढ़ा कर रहा प्रदूषण, बच्चों की बुद्धि पर भी डाल रहा असर

Edited By vasudha,Updated: 16 Jul, 2019 11:36 AM

pollution affected on the of the lungs

वायु प्रदूषण कई बीमारियों का कारण बन रहा है। सांस संबंधी बीमारियों के कारण दुनिया भर में लाखों लोगों की मौत हो रही है। वायु प्रदूषण के सम्पर्क में आने से फेफड़ों की कार्यक्षमता घट रही है और फेफड़े जल्दी बूढ़े हो रहे हैं...

लंदन: वायु प्रदूषण कई बीमारियों का कारण बन रहा है। सांस संबंधी बीमारियों के कारण दुनिया भर में लाखों लोगों की मौत हो रही है। वायु प्रदूषण के सम्पर्क में आने से फेफड़ों की कार्यक्षमता घट रही है और फेफड़े जल्दी बूढ़े हो रहे हैं। एक हालिया शोध के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों में क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिसऑर्डर (सी.ओ.पी.डी.) होने का खतरा बढ़ गया है। 3 लाख लोगों पर वायु प्रदूषण के प्रभावों का शोध यूरोपियन रिस्पाइरेटरी जर्नल में प्रकाशित किया गया है। 

मौतों के आंकड़ों में हो रही बढ़ोतरी
सी.ओ.पी.डी. फेफड़ों की कार्यक्षमता घटने से संबंधित एक बीमारी है। इस बीमारी में फेफड़ों में मौजूद सांस खींचने के रास्ते धीरे-धीरे संकरे होकर बंद हो जाते हैं। इससे सांस लेने में परेशानी होती है। इस बीमारी के कारण फेफड़े जल्दी बूढ़े हो जाते हैं और सांस संबंधी कई बीमारियां लोगों को घेर लेती हैं। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज प्रोजैक्ट के अनुसार सी.ओ.पी.डी. दुनिया भर में मौतों का तीसरा सबसे बड़ा कारण है। दुनिया भर में सी.ओ.पी.डी. से संबंधित मौतों के आंकड़ों में अगले 10 सालों में तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है।

बच्चों के लिए भी खतरनाक प्रदूषण 
प्रदूषण किस कदर खतरनाक हो सकता है इसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं। प्रदूषण बच्चों की बुद्धि को कम कर रहा है। साथ ही उनके दिमाग को कई तरह से नुक्सान पहुंचा रहा है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के ताजा शोध के मुताबिक प्रदूषण से बच्चों का आई.क्यू. 7 अंक तक घट सकता है। एनवायरनमैंटल रिसर्च नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक प्रदूषित इलाके में रहने वाली महिला गर्भवती होने के बाद वहां रहती है तो उसका असर उसके बच्चे पर भी पड़ता है। शोधकत्र्ताओं का कहना है कि प्रदूषित कण गर्भनाल को प्रभावित करने के साथ सीधे बच्चे तक पहुंच कर उसके दिमाग को भी क्षतिग्रस्त कर सकते हैं।

प्रदूषित इलाके में रहने वाले बच्चों को ज्यादा खतरा 
इसमें कहा गया है कि प्रदूषित इलाके में रहने वाली महिलाओं के 4 साल के बच्चे का आई.क्यू. औसत 2.5 अंक तक और अधिकतम 6.8 अंक कम पाया गया है। गर्भावस्था में धूप कम सेंकने से बच्चों में सीखने की क्षमता कम होती है। गर्भावस्था में अगर सही मात्रा में धूप न ली जाए और कम अल्ट्रावायलट एक्सपोजर मिले तो बच्चों में लॄनग डिसेबिलिटी यानी कुछ भी न सीखने की स्थिति का खतरा बढ़ जाता है। हाल ही में किए गए एक शोध में इस बात का दावा किया गया है। यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लास्गो के शोधकत्र्ताओं द्वारा किए शोध में गर्भावस्था के दौरान धूप न मिल पाने और लॄनग डिसेबिलिटी के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध देखने को मिला।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!