Edited By Tanuja,Updated: 14 Jul, 2020 01:41 PM
पूरी दुनिया के वैज्ञानिक कोरोना महामारी के ईलाज के लिए वैक्सीन की खोज में लगे हुए हैं। इस बीच रूस की यूनिवर्सिटी ने सबसे पहले कोरोना...
इंटरनेशनल डेस्कः पूरी दुनिया के वैज्ञानिक कोरोना महामारी के ईलाज के लिए वैक्सीन की खोज में लगे हुए हैं। इस बीच रूस की यूनिवर्सिटी ने सबसे पहले कोरोना वैक्सीन बनाने का दावा किया है। यूनिवर्सिटी का कहना है कि वह अगस्त तक मरीजों को उपलब्ध कराने की तैयारी में है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक स्मॉल-स्केल पर हुए ह्यूमन ट्रायल में यह वैक्सीन इंसानों के लिए सुरक्षित पाई गई है।
मॉस्को की सेचेनोव यूनिवर्सिटी ने 38 वालंटियर्स पर क्लिनिकल ट्रायल पूरा किया था। साथ ही साथ, रूस की सेना ने भी पैरलल सारे ट्रायल दो महीने में सरकारी गमलेई नैशनल रिसर्च सेंटर में पूरे किए। गमलेई सेंटर के हेड अलेक्जेंडर जिंट्सबर्ग ने सरकारी न्यूज एजेंसी TASS को बताया कि उन्हें उम्मीद है कि वैक्सीन 12 से 14 अगस्त के बीच 'सिविल सर्कुलेशन' में आ जाएगी। अलेक्जेंडर के मुताबिक, प्राइवेट कंपनियां सितंबर से वैक्सीन का बड़े पैमाने पर प्रॉडक्शन शुरू कर देंगी।
गमलेई सेंटर हेड के मुताबिक, वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल में पूरी तरह सेफ साबित हुई है। अगस्त में जब मरीजों को वैक्सीन दी जाएगी तो यह उसके फेज 3 ट्रायल जैसा होगा क्योंकि जिन्हें डोज मिलेगी, उनकी मॉनिटरिंग की जाएगी। फेज 1 और 2 में आमतौर पर किसी वैक्सीन/दवा की सेफ्टी जांची जाती है ताकि फेज 3 में बड़े ग्रुप पर ट्रायल किया जा सके।