Edited By Tanuja,Updated: 22 Apr, 2020 05:31 PM
वैज्ञानिकों ने हाल ही में किए गए एक अध्ययन में दावा किया है कि तेजी से बढ़ते शहरीकरण की वजह से नयी संक्रमक बीमारियों के लिए ‘‘नयी पारस्थितिक
लंदनः वैज्ञानिकों ने हाल ही में किए गए एक अध्ययन में दावा किया है कि तेजी से बढ़ते शहरीकरण की वजह से नयी संक्रमक बीमारियों के लिए ‘‘नयी पारस्थितिक पनाहगाहें’’ स्थापित हो रही हैं जिसे देखते हुए भविष्य में महामारी के खतरे को नियंत्रित करने के लिए इन इलाकों में भी उचित शासन व्यवस्था की जरूरत है। ब्रिटेन स्थित लिंकन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं सहित वैज्ञानिकों के एक दल के मुताबिक, इस तरह के विस्तार से लाखों लोगों के रहने और प्रकृति के साथ उनके संबंधों पर असर पड़ता है।
जर्नल अर्बन स्टडीज में प्रकाशित समीक्षा शोधपत्र में 1980 के बाद से शहरीकरण के बढ़ते चलन और हर दशक में आने वालीफैलने वाली बीमारियों की कुल संख्या में इसकी भूमिका का आकलन किया गया है। शोधकर्ताओं ने बताया कि खासतौर पर एशिया और अफ्रीका में तेजी से हो रहे शहरीकरण की वजह से आबादी शहरों के बाहर उपनगरीय इलाकों में बस रही है जिससे शहरी और ग्रामीण पर्यावरण के संबंध अस्थिर हो रहे हैं। अध्ययन के मुताबिक ये बस्तियां पड़ोसी उपनगर, अनाधिकृत रूप से बनाए गए आवास, शरणार्थी शिविर और फैक्टरी एवं खदानों के पास रहने के लिए बनाए गए आवास हो सकते हैं।
अध्ययन में कहा गया कि इस तरह शहरों के बाहर बसी आबादी नयी संक्रामक या दोबारा उभरने वाली बीमारियों का स्रोत बन सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इन इलाकों में रहने वाले लोगों को जानवरों से इन्सानों को होनी वाली बीमारियों का सबसे अधिक खतरा है क्योंकि यह आबादी अपने जीविकोपार्जन के लिए विस्थापित वन्य जीवों के संपर्क में आ सकती है जबकि सामान्यत: शहरों में बसी आबादी ऐसे जीवों के संपर्क में नहीं आती।