तालिबान ने बढ़ी क्रूरता से ली अल्पसंख्यकों की जान, अफगान नागरिकों के बीच पसरा खौफ

Edited By rajesh kumar,Updated: 20 Aug, 2021 06:21 PM

taliban increased brutally took the lives of minorities

अफगानिस्तान में एक जातीय अल्पसंख्यक समुदाय के गांवों पर हाल में कब्जा करने के बाद तालिबान लड़ाकों ने समुदाय के सदस्यों को यातनाएं दीं और उनकी हत्या कर दी। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने यह दावा करते हुए आशंका जताई कि वे फिर से क्रूर शासन चलाएंगे।

काबुल: अफगानिस्तान में एक जातीय अल्पसंख्यक समुदाय के गांवों पर हाल में कब्जा करने के बाद तालिबान लड़ाकों ने समुदाय के सदस्यों को यातनाएं दीं और उनकी हत्या कर दी। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने यह दावा करते हुए आशंका जताई कि वे फिर से क्रूर शासन चलाएंगे। तालिबान के शासन में आने पर इसी तरह की क्रूरता की आशंका के बीच हजारों लोगों के काबुल हवाईअड्डे तक जाने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर हैं। इनके अलावा कई अन्य लोगों ने तालिबान के विरोध में सड़कों पर उतरने का फैसला किया है। तालिबान ने वादा किया है कि वह सुरक्षा बहाल करेगा और 20 साल पहले अमेरिका के नेतृत्व में छिड़ी लड़ाई में उससे लड़ने वालों को वह माफ कर देगा।

हजारा समुदाय के नौ लोगों को मारा, तीन को दी कड़ी यातनाएं
जुमे की नमाज से पहले तालिबान नेताओं ने इमामों से अपील की कि वे लोगों को एकता का उपदेश दें और देश नहीं छोड़कर जाने को कहें। लेकिन अनेक अफगान नागरिक आशंकित हैं और एमनेस्टी की रिपोर्ट में अनेक ऐसे साक्ष्य पेश किये गये हैं जो तालिबान के बदलने के दावों को कमजोर करते हैं। मानवाधिकार संस्था ने कहा कि उसके शोधकर्ताओं ने गनी प्रांत में चश्मदीदों से बात की जिन्होंने बताया कि किस तरह तालिबान ने चार से छह जुलाई के बीच मुंदारख्त गांव में हजारा समुदाय के नौ लोगों को मार डाला था। इनमें छह को गोली मार दी गयी थी और तीन को इतनी अधिक यातनाएं दी गयीं कि उन्होंने दम तोड़ दिया।

नृशंस हत्याएं दिला रहीं तालिबान के पिछले रिकॉर्ड की याद
एमनेस्टी इंटरनेशनल के प्रमुख आग्नेस कालामार्ड ने कहा, ‘‘नृशंस हत्याएं तालिबान के पिछले रिकॉर्ड की याद दिलाती हैं और इस बात का भयावह संकेत हैं कि तालिबान का शासन होने पर क्या हो सकता है।'' संस्था ने चेतावनी दी कि हो सकता है कि हत्या के कई मामले सामने ही नहीं आए हों क्योंकि तालिबान ने अपने कब्जे वाले कई क्षेत्रों में फोन सेवाएं काट दी हैं ताकि लोग तस्वीरें प्रसारित नहीं कर सकें। ‘रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स' नामक संस्था ने इस खबर पर चिंता जताई कि तालिबान के लड़ाकों ने बुधवार को जर्मन मीडिया समूह डायचे वेले के लिए काम कर रहे एक अफगान पत्रकार के परिवार के सदस्यों की हत्या कर दी। अनेक अफगान नागरिकों को डर है कि तालिबान का वैसा ही क्रूर शासन लौट आएगा जैसा 1990 के दशक के आखिर में था।

हजारों लोग काबुल हवाईअड्डे पर पहुंच रहे
उस समय तालिबान ने बड़े स्तर पर महिलाओं को घरों में कैद रखा, टेलीविजन और संगीत पर पाबंदी लगा दी, संदिग्ध चोरों के हाथ काट लिए और उन्हें सार्वजनिक रूप से मौत की सजा दी गयी। इन सभी आशंकाओं के बीच हजारों लोग काबुल हवाईअड्डे से लोगों को देश से बाहर निकाल रहे विमानों पर किसी तरह सवार होने के लिए वहां पहुंच रहे हैं। चार दिन से हवाईअड्डे से निकलने की कोशिश में वहां कई लोगों के साथ डेरा डाले मोहम्मद नईम ने कहा कि एक दिन तो उन्हें भीड़ से अपने बच्चों को बचाने के लिए एक कार की छत पर रखना पड़ा। उन्होंने दूसरे कुछ बच्चों को इसी दौरान जान गंवाते भी देखा। अमेरिकी बलों के लिए दुभाषिये का काम करने वाले नईम ने कहा कि उसने अन्य लोगों से अपील की है कि हवाईअड्डे पर नहीं पहुंचें।

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