Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Jun, 2018 11:20 PM
यूं तो झुर्रियां बढ़ती उम्र की निशानी होती हैं लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हंसने के दौरान जिन लोगों की आंखों के आसपास झुर्रियां पड़ती हैं उन्हें लोग अधिक ईमानदार समझते हैं। कनाडा की वेस्टर्न यूनिर्विसटी के शोधकर्ताओं ...
टोरंटो : यूं तो झुर्रियां बढ़ती उम्र की निशानी होती हैं लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हंसने के दौरान जिन लोगों की आंखों के आसपास झुर्रियां पड़ती हैं उन्हें लोग अधिक ईमानदार समझते हैं। कनाडा की वेस्टर्न यूनिर्विसटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि हमारा मस्तिष्क इस प्रकार का होता है कि वह आखों के आस पास झुर्रियां को बेहद प्रचंड और बेहद ईमानदार भाव के तौर पर लेता है।
आखों के पास झुर्रियों को ड्यूकेन मार्कर कहते हैं और तमाम तरह की भावनाओं को व्यक्त करने पर यह उभर कर सामने आते हैं मसलन मुस्कुराने , दर्द और दुख के दौरान। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के लिए प्रतिभागियों को कुछ फोटोग्राफ विजुअल रायवलरी तरीके से दिखाए। इनमें से कुछ में ड्यूकेन मार्कर थे और कुछ में नहीं। शोधकर्ता यह जानना चाहते थे कि हमारा मस्तिष्क किस भाव को ज्यादा अहम समझता है।
शोधकर्ता जूलिओ मार्टिनेज ट्रूजिलो ने बताया कि ड्यूकेन मार्कर वाली अभिव्यक्ति ज्यादा प्रभावशाली पाई गई। इस लिए भाव जितने प्रबल होंगे आपका मस्तिष्क लंबे समय तक उसे याद रखता है और ड्यूकेन मार्कर वाले चेहरे को मस्तिष्क ज्यादा ईमानदार मानता है।