Edited By Tanuja,Updated: 26 Apr, 2018 11:21 AM
ब्रिटेन का एक दम्पति अपने बच्चे को जीवित रखने का केस अदालत में हार गया। 23 महीने के शिशु एल्फी के माता-पिता अपने जिगर के टुकड़े को जीवित रखने के लिए कोर्ट में लड़ रहे थे लेकिन केस हारने के बाद डॉक्टरों ने बच्चे के जीवन रक्षक उपकरण हटा दिए...
लंदनः ब्रिटेन का एक दम्पति अपने बच्चे को जीवित रखने का केस अदालत में हार गया। 23 महीने के शिशु एल्फी के माता-पिता अपने जिगर के टुकड़े को जीवित रखने के लिए कोर्ट में लड़ रहे थे लेकिन केस हारने के बाद डॉक्टरों ने बच्चे के जीवन रक्षक उपकरण हटा दिए। इसके बावजूद एल्फी की सांसें छह घंटे तक चलती रहीं।
यह खबर मिलते ही डॉक्टरों ने उसे ऑक्सीजन देने के साथ ही हाइड्रेट करना शुरू कर दिया है। एल्फी के पिता टॉम इवांस का कहना है कि ऑक्सीजन दिए जाने से उसकी सांसें तो सामान्य नहीं हुई लेकिन शरीर में ऑक्सीजन की उचित मात्रा जरूर पहुंच रही है।
एल्फी डिजेनरेटिव न्यूरोलॉजिकल बीमारी से ग्रसित है। वह पिछले एक साल से कोमा में है। जीवित रखने के लिए उसे वैंटीलेटर पर रखा गया है। लिवरपूल स्थित चिल्ड्रन अस्पताल के डॉक्टरों का कहना था कि बच्चे को इस स्थिति में जिंदा रखना मुश्किल है।बच्चे के माता-पिता उसे इलाज के लिए रोम स्थित अस्पताल ले जाना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने अदालत में बच्चे के जीवन रक्षक उपकरण कुछ दिन और लगाए रखने की मांग की थी लेकिन अदालत ने उनकी अपील खारिज कर दी।
इसके बाद सैकड़ों लोगों ने एल्फी के समर्थन में प्रदर्शन किया। इटली ने भी बच्चे को नागरिकता दे दी है। बच्चे को बचाने के लिए टॉम ने पोप फ्रांसिस से भी मुलाकात की थी। पोप ने भी बच्चे को जीवित रखने का समर्थन करते हुए कहा था कि किसी के जीने-मरने का निर्णय केवल ईश्वर ही ले सकते हैं।