ट्रम्प प्रशासन ने ट्रांसजेंडर सैनिकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट से मांगा तत्काल फैसला

Edited By Tanuja,Updated: 24 Nov, 2018 06:00 PM

us government seeks quick ruling on transgender troops case

ट्रम्प प्रशासन ने ट्रांसजेंडरों के सेना में शामिल होने पर प्रतिबंध की पेंटागन की नीति पर सुप्रीम कोर्ट से तत्काल फैसला देने की मांग की है। यह एक असामान्य कदम है। हाल के महीनों में चौथी बार ट्रम्प प्रशासन ने निचली अदालत को दरकिनार करने की कोशिश की...

वॉशिंगटनः  हमेशा विवादों से घिरे रहने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार मामला है ट्रांसजेंडर सैनिकों का। ट्रम्प प्रशासन ने ट्रांसजेंडरों के सेना में शामिल होने पर प्रतिबंध की पेंटागन की नीति पर सुप्रीम कोर्ट से तत्काल फैसला देने की मांग की है। यह एक असामान्य कदम है। हाल के महीनों में चौथी बार ट्रम्प प्रशासन ने निचली अदालत को दरकिनार करने की कोशिश की है, क्योंकि ट्रम्प के कई विवादित प्रस्तावों पर इसने रोक लगा दी थी। सरकार ने विभाजक मुद्दे पर जल्द निर्णय के लिए हाईकोर्ट की शरण ली है, जहां कंजरवेटिव जजों की संख्या अधिक है। 
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इस महीने की शुरुआत में प्रशासन ने हाईकोर्ट से राष्ट्रपति के डिफर्ड एक्शन फॉर चाइल्डहुड अराइवल्स कार्यक्रम पर रोक लगाने के मामले में तेजी से फैसला लेने को कहा था। यह कार्यक्रम कम उम्र के शरणार्थियों को उनके देश वापस भेजे जाने से रोकता है। ट्रम्प प्रशासन ने हाईकोर्ट से हस्तक्षेप कर जलवायु परिवर्तन से जुड़़े मामले और 2020 की जनगणना में नागरिकता से संबंधित सवाल जोड़ने के प्रशासन के फैसले को लेकर दायर किए गए एक मुकदमे में सुनवाई रोकने को कहा है।
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 लिबरल टेक केयर ब्लॉग के प्रकाशक जोशुआ ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट के लिए संवेदनशील मामला है, क्योंकि ट्रम्प प्रशासन इसे रणभूमि बनाने के प्रयास में है, जिससे निश्चित रूप से जज बचना चाहेंगे। सुप्रीम कोर्ट किसी मामले में शामिल होने के लिए तब तक प्रतीक्षा करता है, जब तक अपीली और निचली अदालत इस पर फैसला न सुना दे। इतिहास में इस तरह का एक मशहूर उदाहरण निक्सन प्रशासन का है, जब वह पेंटागन पेपर्स का प्रकाशन रोकने के लिए सीधे अदालत गए थे। ये पेपर अमेरिका के वियतनाम युद्ध में शामिल होने का गुप्त इतिहास है।
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वर्ष 2016 में राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान पेंटागन ने सेना में खुलेतौर पर ट्रांसजेंडर की सेवा पर लगी रोक को प्रारंभिक तौर पर समाप्त कर दिया था। लेकिन ट्रम्प प्रशासन ने इसकी समीक्षा करते हुए इस फैसले पर रोक लगा दी। ट्रम्प प्रशासन ने सिर्फ सीमित परिस्थितियों में ट्रांसजेंडर को सेना में काम करने की इजाजत दी। ट्रम्प प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ निचली अदालतों में कई मुकदमे दायर किए गए हैं।   

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